SI Exam in Bilaspur: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में सब इंस्पेक्टर परीक्षा आयोजित थी। इस परीक्षा का असर जोनल स्टेशन व यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में दिखा। यहां पैर रखने तक की जगह नहीं थी। जनरल टिकट काउंटर में तो इतनी लंबी कतार थी कि यहां अव्यवस्था के साथ- साथ विवाद भी होता रहा है। कुछ यात्रियों को ट्रेन के समय में टिकट तक उपलब्ध नहीं हो सका। ऐसे यात्रियों को दूसरी ट्रेन गंतव्य तक जाना पड़ा।

जोनल स्टेशन में यह नजारा जब-जब शहर में परीक्षाएं होती है, उस दिन दिख ही जाती है। परीक्षा समाप्त होने के बाद परीक्षार्थी घर वापस जाने के लिए जोनल स्टेशन पहुंचने लगे। देखते ही देखते स्टेशन में यात्रियों की भीड़ बढ़ने लगी। सामान्य यात्री और परीक्षाथियों की भीड़ के कारण प्लेटफार्म में पैर रखने की जगह नहीं थी। प्लेटफार्म के साथ-साथ सबसे ज्यादा परेशानी टिकट काउंटर में हुई। जहां सीमित काउंटर की वजह से जो काउंटर खुले थे उसमें इतनी लंबी कतार लगी थी कि यात्रियों को टिकट लेने के लिए भारी जद्दोजहद करनी पड़ी। कुछ यात्रियों को तो ट्रेन छूटने के बाद टिकट मिला। ऐसे यात्रियों ने रेल प्रशासन पर नाराजगी भी जताई। उनका कहना था कि जब भीड; बढ; गई थी तो रेल प्रशासन को अतिरिक्त टिकट काउंटर खोलना चाहिए , लेकिन रेल प्रशासन ने ऐसा नहीं किया यह हमेशा की समस्या है।

हर बार परीक्षा आयोजित होने पर इसी तरह की अव्यवस्था होती है। सबसे बड़ी विडंबना है कि इस तरह की भीड़ को संभालने के लिए रेलवे के द्वारा पुख्ता इंतजाम नहीं किया जाता है। अव्यवस्था की यही सबसे प्रमुख वजह है। टिकट काउंटर के साथ- साथ आटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीन में कतार नजर आई। इतनी अव्यवस्था के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था संभालने के लिए न तो आरपीएफ का अमला नजर आए और न जीआरपी की तैनातगी दिखी। यही वजह है कि टिकट काउंटर के बाहर पहले टिकट लेने के लिए बहस भी हुई, लेकिन वहां विवाद शांत कराने वाला कोई नहीं थी। मुख्य द्वार भी टिकट जांच करने के लिए एक- दो टीटीई ही नजर आए।

बेटिकट यात्रियों ने की यात्रा

रायपुर- दुर्ग के लिए उस समय छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस एक मात्र ट्रेन थी। अधिकांश यात्री इसी से गंतव्य पर जाने के लिए टिकट काउंटर के बाहर मशक्कत करते नजर आए। 2:45 बजे तक ट्रेन पहुंची और रवाना हो गई। जिन यात्रियों को पता चला कि ट्रेन छूटने वाली है। कुछ यात्री बिना टिकट लिए ट्रेन में चढ़ गए। ये वे यात्री थे, जो कतार में सबसे आखिरी में खड़े थे। यदि टिकट के लिए खड़े रहते तो ट्रेन भी नहीं मिल पाती।

Posted By: Yogeshwar Sharma

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