अतुल वासिंग, नईदुनिया बिलासपुर: बरसात के दिनों में एक बार फिर आवारा कुत्तों के स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। पानी गिरने के कारण अधिकांश जगह गीली हो जाती हैं। इससे कुत्तों के लिए बैठने का स्थान कम हो जाते हैं। साथ ही वर्षा में भीगने के कारण कुत्तों को बुखार आने से तापमान बढ़ जाता है और वह तीन-चार दिनों से भूखे रहते हैं। ऐसे में चिड़चिड़ेपन की वजह से कुत्ते राहगीरों पर हमला करने लगते हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो बीते दो दिन शुक्रवार और शनिवार को कुत्ता काटने से संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सिम्स में 50 मामले सामने आए। इनमें अकेले 35 लोग बिलासपुर शहर के थे। दो दिन के भीतर सिम्स पहुंचे मरीजों की सिम्स के चिकित्सकों ने काउंसिलिंग की तो यह बात सामने आई कि ये कुत्ते अकेले नहीं, बल्कि झुंड बनाकर हमला कर रहे हैं। यह छोटे बच्चों और बुजर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है।
मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ. पंकज टेंभुर्णिकर का कहना है कि बारिश होने के बाद जमीन गीली हो जाती है। बारिश थमने के बाद कुछ देर में ही सड़क सुख जाती है, इसी सुखी सड़क पर कुत्ते बैठते हैं। साथ ही भोजन की कमी भी हो जाती है। इससे कुत्तों के स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है और वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे में कुत्ते आक्रामक होकर राहगीरों पर हमला करने के लिए दौड़ाते हैं।
नगर निगम समय-समय पर कुत्ते भागने का काम करती है, जो कुछ ही दिनों में वापस लौट आते हैं। इसी तरह संख्या नियंत्रण के लिए कुत्तों की नसबंदी भी की जाती है, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से लगातार कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। निगम के अनुसार मौजूदा स्थिति में शहर में 10 हजार से ज्यादा कुत्ते सक्रिय हैं।
डॉग बाइट के मामले बढ़ने के साथ ही एंटी रेबीज वैक्सीन की खपत बढ़ गई है। वहीं अस्पतालों में इनका सीमित स्टाक है। अब वैक्सीन का स्टाक वित्त वर्ष खत्म होने के बाद अप्रैल में मिलेगा। ऐसे में सिम्स व जिला अस्पताल प्रबंधन की दिक्कत बढ़ गई है कि यदि कुत्ते इसी रफ़्तार से लोगों का शिकार करते रहेंगे तो आने वाले सप्ताह या 10 दिनों में वैक्सीन का स्टाक खत्म हो जाएगा। पिछले साल की भी सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन खत्म हो गई थी। मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ी।
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बरसात में कुत्तों के चिड़चिड़े होने के कई कारण हैं। एक तो जमीन गीली होने से बैठने का स्थान कम हो जाता है। सूखी जगहों की तलाश में कुत्ते घरों के आंगन या फिर दुकानों के शेड में चले जाते हैं। ऐसे में वहां से उन्हें भगा दिया जाता है।
पानी में भीगने से बुखार हो जाता है, जिससे तापमान बढ़ जाता है। इससे कुत्तों को भूख नहीं लगती है। तीन-चार दिनों से भूखे होने के कारण वे चिड़चिड़े हो जाते हैं।
इसके अलावा बारिश के बाद मेटिंग सीजन शुरू हो जाता है। इस दौरान भी कुत्ते भूखे होते हैं। इससे स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है।
-डॉ, चंदन कुमार पशु चिकित्सक, कानन पेंडारी जू