
बिलासपुर(नईदुनिया)। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए त्याग करने वालों में कुछ ऐसे भी हैं, जो कारसेवा के दौरान ऐसी मन:स्थिति से गुजरे कि उनका जीवन ही बदल गया। उन्हीं में से एक हैं पेंड्रा के परमशांति धाम आश्रम के परमात्मानंद महाराज। 1990 में पहली कारसेवा हुई जिसमें परमानंद महराज स्वयं तो गए ही अपने साथ अंचल के कई युवाओं को विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से प्रेरित कर अपने साथ ले गए। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन ही श्रीराम के चरणों पर अर्पित करने की ठान ली। दांपत्य जीवन अपनाने की जगह संन्यासी जीवन को चुना।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के अंतर्गत आने वाले पेंड्रा में ही आश्रम की नींव रखी। यहां सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ वनवासियों के उद्धार और गोसेवा के लिए भी सतत कार्य कर रहे हैं। अब जब उनका स्वप्न अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के रूप में पूरा होने जा रहा है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। वर्ष 1990 में विहिप के आह्वान पर अयोध्या में कार सेवा का निर्णय लिया गया था उस वक्त महाराज परमात्मानंद छत्तीसगढ़ में विहिप का कामकाज देख रहे थे। बतौर संगठन मंत्री वे दायित्व का निर्वहन कर रहे थे।
कारसेवा में भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के अलावा शहर व ग्रामीणों को सीधेतौर पर जोड़ने के लिए प्रत्येक विकासखंड का दौरा किया था। कारसेवा समिति का गठन किया था। नंदकुमार साय अध्यक्ष व राजेंद्र पाठक को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई थी। विहिप के पदाधिकारियों और पहले से ही इस बात की आशंका थी कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार का रवैया असहयोगात्मक और दमनकारी रहेगा।
लिहाजा पहले से ही रूट चार्ट तय कर लिया था। कारसेवकों को रूट चार्ट की जानकारी देने के साथ ही उत्तरप्रदेश में किन लोगों से संपर्क करना है,किस रास्ते से जाना है सभी प्रकार की जानकारी देने का काम हमारी टीम कर रही थी। छत्तीसगढ़ के कुछ ऐसे भी कार सेवक रहे जिन्होंने 300 किलोमीटर तक पैदयात्रा की।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए विहिप का आमंत्रण
महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त 72 वर्षीय परमात्मानंद महाराज विहिप के उन गिने-चुने स्वयंसेवकों में शामिल हैं, जिन्हें मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रण मिला है। परमात्मानंद महाराज बताते हैं कि विहिप का आमंत्रण उनको मिला है। 17 जनवरी को सड़क मार्ग से अयोध्याधाम के लिए रवाना होंगे। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने के बाद तीन दिन का उनका अयोध्याधाम प्रवास रहेगा। इसके बाद वापस आश्रम के लिए रवाना होंगे।