बिलासपुर। बिलासा कला मंच की ओर से आयोजित लोक कला बिलासा महोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा कि कला और कलाकार को अपने प्रदर्शन दिखाने के लिए मंच की आवश्यकता होती है। बिलासा कला मंच नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान करती है। साहित्य, सांस्कृतिक और सामाजिक दरोकार को लेकर बिलासा कला मंच लगातार अपने विविध कार्यक्रमों को लेकर जनता के बीच आते रही है।
मंच के संस्थापक डा. सोमनाथ यादव ने 32वें बिलासा महोत्सव में आए हुए समस्त सुधीजनों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सबका मंच के प्रति स्नेह ही है कि हम अपना कार्यक्रम लगातार आप तक पहुंचा पा रहे हैं। उन्होंने बिलासा कला मंच के सभी आयोजनों के बारे में विस्तार से बताया। बिलासा कला सम्मान गणेश मेहता बिलासपुर, बिलासा साहित्य सम्मान डा. संजीव कुमार दिल्ली, बिलासा सेवा सम्मान मंसूर खान बिलासपुर, बिलासा युवा रत्न सम्मान विनोद डोंगरे खैरागढ़ का सम्मान अतिथियों के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मंच के डा. विनय कुमार पाठक, चंद्रप्रकाश देवरस, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, अजय शर्मा, राघवेंद्रधर दीवान, डा. सोमनाथ मुखर्जी, डा. सुधाकर बिबे, राजेंद्र मौर्य, महेश श्रीवास, यश मिश्रा, रामेश्वर गुप्ता, अश्विनी पांडे, महेंद्र साहू, एमडी दीवान आदि उपस्थित रहे।
राज्य के लोक कलाकारों ने किया मनोरंजन
गुंडरदेही बालोद जिला से आए संजू सेन और उसके साथियों ने अपने 90 से अधिक वाद्ययंत्रों को एक लयताल में बजाकर पूरा माहौल को संगीतमय कर दिया। वहीं छत्तीसगढ़ के प्राचीन नाचा गम्मत विधा के पारंगत मन्ना लाल गंधर्व और उसकी टीम ने हास परिहास से भरा गम्मत प्रस्तुत किया। दिनेश गुप्ता बिलासपुर ने कीचक वध की पूरी गाथा अपने पंडवानी में प्रस्तुत की। वहीं हिलेंद्र ठाकुर और बालचंद साहू की टीम ने रंगझाझर कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में शा उमा विद्यालय लिमतरी से आए बधाों ने बारहमासी कार्यक्रम प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।
महोत्सव से फैला शहर का नाम: महापौर
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिलासा कला मंच के पूर्व अध्यक्ष और महापौर रामशरण यादव ने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि बिलासा की नगरी बिलासपुर को लोग रावत नाच महोत्सव और बिलासा महोत्सव के नाम से जानते हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली से आए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के संपादक डा. लालित्य ललित ने कहा कि हर प्रदेश के संस्कृति की अपनी पहचान होती है, जिसे वहां की जनता अपने विविध प्रदर्शनों के माध्यम से अपनी कला के रूप में दिखाती है। दिल्ली से ही आए वरिष्ठ साहित्यकार डा. संजीव कुमार और अभयनारायन राय ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रकट की।