
बिलासपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम है। इसके माध्यम से देसी नस्ल के पशुओं में उन्नत नस्ल के बीज के माध्यम से पशुओं की उन्नत नस्ल में वृद्धि की जाती है। कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पैदा हुए बच्चे ज्यादा दूध देने के साथ-साथ तंदुरुस्त भी होते हैं।
साथ ही उनमें बीमारियों का खतरा भी कम होता है। कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पशुपालकों को गर्भाधान कराए जाने के समय होने वाले खर्च व परेशानियों से भी बचाया जाता है। कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पैदा हुई बछिया अधिक दूध उत्पादक होती है साथ ही अगर बछड़ा होता है तो वह हष्ट - पुष्ट व अधिक मूल्यवान भी होता है। इससे पशुपालकों की आय में निश्चित रूप से वृद्धि होती है।
इसके अलावा प्राकृतिक गर्भाधान से फैलने वाले रोगों से भी बचाव होता है। देसी गोवंश एवं भैंसवंश पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान से उन्नत नस्ल की बछिया एवं बछड़ा प्राप्त होता है। जिससे पशुपालकों की आय में निश्चित रूप से वृद्धि देखी जा सकती है।
बिलासपुर के पशु चिकित्सक डा आरएम त्रिपाठी ने बताया कि राष्ट्रीय कृत गर्भाधान कार्यक्रम के अंतर्गत 2019 20 21 22 में हमारे यहां छत्तीसगढ़ के जो गाय हैं उन्हें उन्नत नस्ल की पशुओं को विकसित करने की यह योजना केंद्र सरकार की है लगातार दो वर्षों से इस योजना में कार्य किया जा रहा है। 2018-19 में जिले को 300 गांव का 2019-20 में 500 गांव का व 2021-22 में 700 गांव का लक्ष्य दिया गया है जिनमें तकरीबन 75 हजार कृत्रिम गर्भाधान किए जाने की योजना है।
जिनमें से 31 जनवरी 2021 तक 20 हजार 121 गर्भाधान का टारगेट पूरा किया जा चुका है। कोरोना काल में थोड़ी दिक्कतें आई थी मगर अब उन दिक्कतों को दूर कर लक्ष्य पूरा करने में विभाग लगा हुआ है। बिलासपुर जिले में बिलासपुर व गौरेला पेंड्रा मरवाही दोनों जिलों को शामिल किया गया है व दोनों जिलों में टारगेट को पूरा करने की लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं उन्होंने बताया कि एक कार्यकर्ता को 5 गांव दिया जाता है और प्रत्येक गांव में 100 गर्भाधान करने का टारगेट दिया जाता है।
इस प्रकार प्रत्येक कार्यकर्ता के द्वारा 500 पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। कार्यकर्ता द्वारा गोठानों के साथ ही घरों में जाकर भी पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। इस योजना से लाभ प्राप्त लोगों ने बताया कि कृत्रिम योजना गौपालकों के लिए बहुत ही अच्छी साबित हो रही है।
इसके माध्यम से हमें देसी गोवंश में उन्नत नस्ल की बीज डलवा कर अच्छी नस्ल की बछिया वह बछड़ा प्राप्त हो रहा है। इसके माध्यम से जन्मे बच्चे आगे चलकर ज्यादा दूध देने वाले होते हैं। कृत्रिम गर्भाधान करने वाले कार्यकर्ता इस योजना को सफल बनाने में पूरी तरह से लगे रहते हैं और जब भी उन्हें बुलाया जाए वह घर पर आकर ही इस योजना का लाभ लाभार्थियों को पहुंचाते हैं।