बिलासपुर। Bilaspur News: कोरोनाकाल में ठप की गई यात्री ट्रेनों की सुविधा एक-एक कर जिस तरह से शुरू की गई थी, उसी क्रम में बंद भी की जा रही हैं। पहले हसदेव एक्सप्रेस को बंद कर दिया गया और अब कोरबा से त्रिवेंद्रम के बीच चल रही विशेष ट्रेन को भी इस माह से बंद कर दिया गया है। इधर लोगों की मुश्किलें कम होेने की बजाय बढ़ती जा रही हैं, तो दूसरी ओर साधन में कटौती से लोगों को यात्रा के सुविधाजनक माध्यम से एक-एक कर दूर किया जा रहा है।
त्रिवेंद्रम-कोरबा-त्रिवेंद्रम (ट्रेन संख्या 02648-02647) स्पेशल ट्रेन का परिचालन 22 अक्टूबर से दो दिसंबर तक किया गया। त्रिवेंद्रम से कोरबा की दिशा में द्वि-साप्ताहिक स्पेशल ट्रेन त्रिवेंद्रम से हर सोमवार और गुरुवार को 22 अक्टूबर से दो दिसंबर तक और इसी प्रकार गाड़ी संख्या 02647 कोरबा-त्रिवेंद्रम द्वि-साप्ताहिक पूजा स्पेशल ट्रेन कोरबा से प्रत्येक शनिवार और बुधवार को 24 अक्टूबर से दो दिसंबर तक चली।
इसके बाद ट्रेन के परिचालन की अवधि में विस्तार नहीं दिया गया है। इस तरह रेलमार्ग से दक्षिण भारत को जोड़ने वाली इस ट्रेन की सुविधा एक बार फिर ठप हो गई है। पहले ही रेल माध्यमों की कमी से जूझ रहे जिलेवासियों के लिए सुविधा में एक और कटौती परोस दी गई है।
30 प्रतिशत से कम राजस्व के बहाने पहिए थमे
यात्रियों की अपर्याप्त संख्या व कम राजस्व के बहाने रेलवे के अधिकारियों की मनमानी को लेकर जिलेवासियों में नाराजगी देखी जा रही है। इससे पहले कोरबा से रायपुर के बीच विशेष ट्रेन के रूप में शुरू की गई हसदेव एक्सप्रेस को भी 21 दिन के लिए चलाया गया और बंद कर दिया गया।
हसदेव को बंद करने के पीछे अधिकारियों ने 30 प्रतिशत से कम राजस्व होना कारण बताया था। अब त्रिवेंद्रम स्पेशल को भी बंद कर दिया गया है। किसी भी ट्रेन का परिचालन तभी तक संभव है, जब तक कि रेलवे को निर्धारित आय अर्जित होती रहे, जिसकी कमी से परिचालन रोक दिया गया।
कोरबा-दुर्ग फास्ट मेमू का पता नहीं
कोरबा के आम यात्रियों एवं विशेषकर व्यवसायी वर्ग के लिए लंबे समय से सुबह बिलासपुर व रायपुर जाकर शाम-रात तक शहर लौटने ट्रेन सुविधा की मांग की जा रही। इसके लिए हसदेव एक्सप्रेस का परिचालन पुन: शुरू करने पर जोर दिया जा रहा था।
एक दिन में वापसी की ट्रेन नहीं होने से हर वर्ग परेशान है। रेलवे डीआरएम ने दिसंबर में कोरबा-दुर्ग फास्ट मेमू देने का वादा किया था, जो 10 दिन गुजर जाने के बाद भी अधूरा है। हसदेव स्पेशल के विकल्प में अस्थायी तौर पर सुबह की फास्ट ट्रेन मिलने से बड़ी राहत की उम्मीद की जा रही थी, जिसकी प्रतीक्षा अब भी जारी है।
पांच दिए और बंद कर दी दो ट्रेन
यात्रियों की सुविधा एवं मांग को ध्यान में रखते हुए कोरबा के लिए पांच स्पेशल ट्रेन शुरू की गई थी। इनमें अब तक दो की सुविधा बंद की जा चुकी है। पीक सीजन की व्यस्तता कम करने ट्रेनों को चलाया गया। रेलवे ने आय में बढ़ोतरी की चिंता तो की पर अब यात्रियों की वर्तमान जरूरत को अनदेखा किया जा रहा है। इसी रवैए के चलते रेल अधिकारियों का पुतला भी फूंका गया था। उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में फास्ट मेमू लोकल की वैकल्पिक व्यवस्था देकर वहां के यात्रियों के लिए राहत का इंतजाम किया गया है, तो कोरबा के लिए वही फार्मूला क्यों लागू नहीं किया जा रहा है।