बिलासपुर (निप्र)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार का कहना है कि 125 करोड़ के हिंदुस्तान की सबसे बड़ी ताकत यहां के युवा तरुणाई है। समूचे विश्व में हमारे युवाओं ने अपनी महत्ता और ताकत की नुमाइश कर दी है। युवा शक्ति के साथ ही हमारी नैसर्गिक ताकत भी कुछ कम नहीं है। आज पूरी दुनिया हमारी तरफ आशाभरी नजरों से देख रही है। हमारी ताकत को कोई नकार नहीं सकता। दुनिया को कुछ गिने-चुने महाशक्तियों की दादागीरी से कोई बचा सकता है तो वह हिंदुस्तान ही है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ऐसा कोई विषय और मसला नहीं, जिसे दुनिया एक बार जरूर मुड़कर देखती है कि हमारा क्या रुख है, हम क्या सोच रहे हैं? अफसोस की बात ये कि देश का आंतरिक वातावरण नकारात्मक और निराशाजनक नजर आ रहा है। कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पूरे घटनाक्रम पर आरएसएस की पैनी नजर है।
श्री कुमार रविवार को गवर्नमेंट स्कूल प्रांगण में जिलेभर से आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों व शहरवासियों को संबोधित कर रहे थे। दुनिया के नक्शे पर महाशक्तियों की दादागीरी व बेजा हस्तक्षेप की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे 21वीं शताब्दी दस्तक दे रही है दुनिया के नक्शे पर द्विध्रुवीय विश्व के बजाय बहुध्रुवीय विश्व का मानचित्र तेजी के साथ उभरने लगा है। अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ रूस, भारत और जापान नक्शे पर शामिल हो गए हैं। दुनिया के बड़े-बड़े चिंतक वैश्विक शक्तियों का आंकलन करते हुए ताकत पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर घटने वाली घटनाओं के संबंध में भारत के विचार और उनका दृष्टिकोण जानने वाले देशों की कमी नहीं है। हर उस घटना और मसले पर दुनिया एक बार जरूर मुड़कर देखती है कि भारत का अपना नजरिया और रवैया क्या है। सवा करोड़ के हिंदुतान को ईश्वर ने सब कुछ दिया है। सामरिक और भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी कि हमारे सामने कोई टिक न पाए। युवा शक्ति का डंका तो दुनिया के देशों में बज ही रहा है। वर्तमान परिवेश में युवा हमारी सबसे बड़ी ताकत है। केंद्र की यूपीए सरकार के साथ ही आजादी के बाद अधिकांश समय तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि देश के भीतर सब कुछ होने के बाद आंतरिक वातावरण नकारात्मक दिखाई दे रहा है। चारों तरफ निराशा ही निराशा दिखाई दे रही है। कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बहुत से लोगों को लगता है कि देश पतन की ओर जा रहा है। सामाजिक वातावरण भी कुछ इसी तरह का दिखाई दे रहा है। देश को एक कुशल नेतृत्व की जरूरत है। सामाजिक भटकाव के चलते आंतरिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसा लगता है कि आजादी के 66 वर्ष की यात्रा के दौरान कुछ कमी रह गई थी। इस दौरान सब-कुछ मिला, कृषि के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर हो गए। सामरिक महत्व के विषय पर हम सबसे ज्यादा मजबूत माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं की फौज हमारे साथ है। आश्चर्य की बात ये है कि इतना सब होने के बाद भी हम यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि हमें जाना कहां है। आरएसएस को वैश्विक परिदृश्य को सामने रखकर कुछ करना होगा। नारा, घोषणा और बड़ी-बड़ी बातों से परिवर्तन आने वाला नहीं है। इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और साहस की जरूरत होती है। संघ के स्वंयसेवकों में यह सब है। मातृभूमि की रक्षा और भारत माता की पूजा का भाव लिए समाज को जगाना होगा। तभी हमें अपना लक्ष्य मिलेगा।
रूस की गलती दोहरा रहा अमेरिका
सीमा उल्लंघन और देश की आजादी पर दखल देने के होने वाले दुष्परिणाम की ओर इशारा करते हुए श्री कुमार ने कहा कि अफगानिस्तान पर रूस ने अपना प्रभुत्व जमाने की गरज से अपने निर्णय थोपना शुरू कर दिया। 1990 के आते-आते दुनिया में एक बड़ी घटना घटी। दुनिया की पहली महाशक्ति माने जाने वाले रूस का विखंडन हो गया। महाशक्ति कई टुकड़ों में बंट गई। यही गलती अमेरिका ने की। बीते एक दशक से अमेरिका अफगानिस्तान में घुसा हुआ है। हालात अब उनके विपरीत होने लगे हैं। निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है। इसका कारण साफ है। अफगान जैसे छोटे से राष्ट्र के नागरिकों में देशप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। वे किसी की परतंत्रता स्वीकार नहीं करते। लगातार संघर्ष कर रहे हैं। यह सब मातृभूमि के प्रति प्रेम और देश प्रेम का जज्बा ही है जो महाशक्तियों को उल्टे पांव लौटने मजबूर करते रहा है।
मिशन, विजन और एंबीशन जगाने की जरूरत
उन्होंने कहा कि देश प्रेम की भावना, मातृभूमि के लिए मर मिटने का भाव के साथ ही देश को लेकर एक मिशन, विजन और एंबीशन समाज के अंदर जगाने की जरूरत है। यह और कोई नहीं आरएसएस के स्वयंसेवक ही कर सकते हैं।
हमने पार किए तीन चरण
सह संपर्क प्रमुख श्री कुमार ने खुलासा करते हुए कहा कि संघ की 88 साल की साधना में हमने तीन चरण प्राप्त कर लिए हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद संघ की शाखा की स्थापना, समाज व्यापी विस्तार के साथ ही देश के तकरीबन 50 फीसदी गांवों तक हमारी पहुंच हो चुकी है। समाज का वातावरण काफी तेजी के साथ बदलने लगा है। राम जन्म भूमि, स्वदेशी यात्रा, राष्ट्र जागरण अभियान के साथ ही अन्य अभियानों के जरिए हमने समाज की मानसिकता बदलने का काम किया है। सोए हुए समाज को हमने झकझोरने का काम किया है।