बिलासपुर। नौ दिनों तक भक्तिमय वातावरण में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के बाद प्रतिमा विसर्जन का दौर शुरू होता है। लेकिन, इस विसर्जन कार्यक्रम को भी बिलासपुर में भव्य रूप दिया जाता है। यह अब एक परंपरा की तरह स्थापित हो चुका है। शहर की प्रमुख दुर्गोत्सव समितियां जीवंत व चलित झांकियां का प्रदर्शन पूरी रात करती हैं। इसमें बाजे-गाजे के साथ रंगीन लाइट व सजावट लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है। चारों ओर नयनाभिराम विसर्जन झांकियों को देखकर श्रद्धालु भी भाव-विभोर होते हैं। साथ ही पूरे रात मेले के माहौल में मां दुर्गा के विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन किया जाता है। अब इस विसर्जन कार्यक्रम में जिले के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के अलावा विभिन्न शहरों के लोग भी झांकी देखने व मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
नवरात्र का पर्व तो बिलासपुर में बड़े धूमधाम से मनता है। परंपरा के अनुसार मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूरे नौ दिनों शक्ति की आराधना की जाती है। इसे भव्य रूप दिया जाता है। इसी वजह से शहर की बड़ी दुर्गोत्सव समितियां इस आयोजन में लाखों रुपये खर्च करती हैं। इसी तरह बिलासपुर में मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन को भी भव्य रूप दिया जाता है। वैसे तो इस बार भी हर साल तरह की तरह नवमी के दिन हवन-पूजन के साथ ही प्रतिमा विसर्जन का दौर शुरू हो जाएगा। लेकिन, परंपरा को ध्यान में रखते हुए शहर की बड़ी समितियांे से जुड़े आस्थावान विसर्जन को भव्य रूप देने के लिए मनमोहक झांकियों, आकर्षक लाइटिंग, ढोल-ताशे, बैंड-बाजा के साथ डीजे की धुन पर झूमते-नाचते हुए विसर्जन में निकलेंगी। इसमें शहरवासी भी हजारों की संख्या में शामिल होकर इस कार्यक्रम को यादगार बनाएंगे। धीरे-धीरे यह एक पर्व की तरह बन चुका है। इसका निर्वहन अब एक परंपरा के तौर पर किया जा रहा है। धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता भी इतनी बढ़ चुकी है कि हर साल इस विसर्जन पर्व का जिलेवासी बेसब्री से इंतजार करते हैं।
बन चुकी है एक नामी प्रतियोगिता
विसर्जन के दौरान इतनी सुंदर-सुंदर झांकियां बनाई जाती हैं कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। विदेश में होने वाले कार्निवाल की तरह ही मान सकते हैं, अंतर ये कि यह चलित होती है। एक कतार में बारी-बारी से लोगों को मां की सुंदर प्रतिमा का दर्शन होता है, उनके साथ मनमोहक झांकियां देखने को मिलती हैं। इसके बढ़ते स्वरूप को ही देखते हुए इसे एक प्रतियोगिता का रूप भी दे दिया गया है। इसमे विभिन्न् श्रेणियों में समितियों को पुरस्कार दिया जाता है। इसमें प्रतिमा, साज-सज्जा, झांकियां, आकर्षक लाइट आदि शामिल हैं। इसमें प्रथम आना समिति के लिए गौरव की बात होती है। इस वजह से आयोजन को और भी भव्यता मिल रही है।
मेले का आता है आनंद
इस विसर्जन महोत्सव की एक खास बात यह है कि हर साल इसे देखने के लिए लगभग 20 से 25 हजार लोग सड़कों पर उमड़ते हैं। ऐसे में इनके मनोरंजन के लिए सड़क किनारे विभिन्न् प्रकार के झूले, लजीज व्यंजनों के स्टाल भी खोले जाते हैं। ऐसे में यह मेले का रूप भी ले लेता है जो पूरी रात चलता है।