जेनेरिक दवाओं को लेकर समाज के एक वर्ग में भ्रम, कहते हैं नकली दवाइयां
हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते है कि वे जेनेरिक दवाओं के बारे में फैली भ्रम से बचें और जेनेरिक दवाओं को अपनाएं। ये दवाएं न केवल सुरक्षित और प्रभावी हैं, बल्कि आपके पैसे की भी बचत करती हैं। जेनेरिक दवाओं के चयन से आप महंगी ब्रांडेड दवाओं पर होने वाले खर्च को बचाएगा।
Publish Date: Tue, 27 Aug 2024 09:34:28 AM (IST)
Updated Date: Tue, 27 Aug 2024 09:34:28 AM (IST)
जेनेरिक दवाएं (सांकेतिक चित्र )HighLights
- भ्रम में न पड़ें, जेनेरिक दवाएं भी उतनी ही प्रभावी जितनी ब्रांडेड दवाइयां
- कम कीमत के कारण जेनेरिक दवाइयों को शक की नजर से देखते है लोग
- निर्माण में शोध और विकास की लागत शामिल नहीं, जेनेरिक दवाएं इसलिए सस्ती
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। शहर में जेनेरिक दवाओं को लेकर कई गलतफहमियां फैली हुई हैं। लोग इन दवाओं को नकली समझकर उनसे दूरी बनाते हैं और महंगी ब्रांडेड दवाओं को प्राथमिकता देते हैं। जबकि सच यह है कि जेनेरिक दवाएं भी ब्रांडेड दवाओं की तरह ही प्रभावी होती हैं। जेनेरिक दवाओं की निर्माण सामग्री और गुणवत्ता मानक ब्रांडेड दवाओं के समान होते हैं, लेकिन कम कीमत के कारण उन्हें शक की नजर से देखा जाता है। शहरवासियों के इस भ्रम को दूर करने के लिए नईदुनिया की टीम ने विशेषज्ञों से बात की और पाया कि जेनेरिक दवाएं भी पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी होती हैं।
क्यों होती है जेनेरिक दवाएं सस्ती
कोई नई दवा विकसित की जाती है, तो उसे बनाने वाली कंपनी पेटेंट के लिए आवेदन करती है। इससे उसे दवा की खोज और विकास पर हुए निवेश की भरपाई करने का अवसर मिलता है। इस अवधि में दवा को केवल कंपनी ही अपने ब्रांड नाम के तहत बेच सकती है। पेटेंट की अवधि समाप्त होने के बाद अन्य कंपनियों को भी उसी दवा का उत्पादन करने की अनुमति मिल जाती है। ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाएं इसलिए सस्ती होती हैं, क्योंकि उनके निर्माण में शोध और विकास की लागत शामिल नहीं होती और सरकार भी इनकी कीमतें नियंत्रित करती हैं।
कीमतों में है भारी अंतर
थायराइड, शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमतों में काफी अंतर है। उदाहरण के तौर पर थायराइड की ब्रांडेड दवा थय्रोक्स 150 की कीमत 230 रुपये है, जबकि इसके जेनेरिक संस्करण थय्रोक्सिनोल की कीमत मात्र 80 रुपये है। इसी तरह शुगर की दवा गल्वस मेट 50-500 की कीमत 361 रुपये है, जबकि इसका जेनेरिक विकल्प विलाड़लीप मेट 77 रुपये में उपलब्ध है। इसी तरह ब्लड प्रेशर के लिए टेलीप्रेस एएम की कीमत 319 रुपये है, जबकि टेल्कानोल एएम जैसी जेनेरिक दवा सिर्फ 48 रुपये में राज्य सरकार द्वारा संचालित्य धन्वंतरि मेडिकल स्टोर में मिल जाती है।
वर्जन
जेनेरिक दवाओं को बाजार में उतारने के लिए ठीक वैसे ही अनुमति और लाइसेंस लेना होता है, जैसा कि ब्रांडेड दवाओं के लिए जरूरी होता है। ब्रांडेड दवाओं की ही तरह जेनेरिक दवाओं को भी गुणवत्ता मानकों की तमाम प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
डा. वीडी रंगारी, प्रोफेसर, फार्मेसी विभाग, जीजीयू