Railway News: नागपुर से झारसुगुड़ा तक ट्रेनों में नहीं होगी भिड़ंत, कवच तकनीक करेगी हिफाजत
भारतीय रेलवे ने चलती हुई ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कवच नामक एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (आटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली विकसित की है। यह पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करती है।
Publish Date: Thu, 27 Jun 2024 04:07:25 PM (IST)
Updated Date: Thu, 27 Jun 2024 04:07:25 PM (IST)
HighLights
- घने कोहरे में भी सुरक्षित परिचालन
- कवच प्रणाली की यह भी विशेषता
- मानवीय भूलों के लिए ट्रेन ड्राइवरों के पास अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय मदद नहीं थी। अब संभव रक्षा
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। यह प्रणाली सिग्नल व स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने में पूरी तरह सक्षम है। ट्रेनों का संचालन मुख्यतया स्टेशन पर विद्यमान परिचालन प्रणाली व ट्रेन ड्राइवरों द्वारा किया जाता है। ट्रेनों की सुरक्षा की सर्वाधिक ज़िम्मेदारी स्टेशन मास्टर एवं ट्रेन ड्राइवरों पर है। स्टेशन मास्टर से ट्रेनों के परिचालन में कोई गलती न हो यह सिग्नल एवं दूरसंचार सिस्टम की इंटरलाकिंग द्वारा सुनिश्चित की जाती है। लेकिन मानवीय भूलों के लिए ट्रेन ड्राइवरों के पास अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय मदद नहीं थी।
ऐसी स्थिति में कवच (ट्रेन कोलाइजन एवोइडेंस सिस्टम) प्रणाली ट्रेन ड्राइवरों की मदद के लिए एक विश्वसनीय साथी है। यदि ड्राइवर स्पीड कंट्रोल करने या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो कवच प्रणाली ब्रेक इंटरफेस यूनिट द्वारा ट्रेन को स्वचालित रूप से कंट्रोल कर लेती है। इस प्रणाली में पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्युनिकेशन स्थापित किया जाता है और सभी स्टेशनों व सभी इंजनों में डिवाइस लगाया जाता है। इससे ट्रेन का इंजन सम्पूर्ण ट्रैक में लगे हुए रेडियो फ्रिक्वेन्सी टैग द्वारा ट्रैक व सिग्नल से संबंधित विवरण प्राप्त करता है।
इंजन में स्थित डिवाइस (लोको यूनिट) स्टेशन के इंटरलाकिंग सिस्टम, सिग्नल के निर्देश और समपार फाटक से विवरण लेकर कंप्यूटरीकृत प्रणाली के निर्देशानुसार ट्रेन का संचालन सुरक्षित गति से करता है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन को कवच परियोजना के लिए चिन्हित किया गया है, जिसके अनुमोदन के लिए प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। प्रस्ताव स्वीकृति पश्चात नागपुर-रायपुर-बिलासपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन में कवच सुरक्षा तकनीक स्थापित करने का कार्य शुरू किया जाएगा।
घने कोहरे में भी सुरक्षित परिचालन
यह प्रणाली ड्राइवर के केबिन में लाइन-साइड सिग्नल के आस्पेक्ट को दोहराती है, जिससे घने कोहरे, बरसात के मौसम के दौरान भी ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित होगी। यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है, तो यह प्रणाली स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करने में मदद करेगी। यह प्रणाली संचालन प्राधिकरण (मूविंग ओथोरिटी) के निरंतर अद्यतन के सिद्धांत पर काम करती है एवं लोको को सीधे टकराव से बचने में, लोको में स्थित संचार माध्यम द्वारा सक्षम बनाती है।
कवच प्रणाली की यह भी विशेषता
समय पर आटोमेटिक सीटी बजता है और विषमता की स्थिति में या जोखिम के मामले में अन्य ट्रेनों को नियंत्रित एवं सावधान करने के लिए तुरंत सक्रिय हो जाता है। इससे आसपास के क्षेत्रों में सभी ट्रेनों का संचालन तत्काल रुक जाता है। खास बात यह है कि इस तकनीक को देश में तैयार किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मार्च 2022 में कवच सुरक्षा तकनीक का सफल जीवंत परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच किया था।