My law: छत्तीसगढ़ सहित जिन चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए वहां के परिणाम भी आ गया है। तीन राज्यों में भाजपा की सरकार काबिज हो रही है। बुधवार को छत्तीसगढ़ के नवनियुक्त मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पद व गोपनीयता की शपथ ली। राज्यपाल ने उनको शपथ दिलाएं। अधिवक्ता शांति मरावी बताती हैं कि मुख्यमंत्री का चुनाव कैसे होता है।
राज्यपाल सरकार बनाने के लिए किस आमंत्रित करते हैं और शपथ ग्रहण की व्यवस्था किस कानून के तहत की जाती है। अधिवक्ता मरावी बताती हैं कि संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल विधायक दल के नेता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाते हैं। पद एवं गोपनीयता संबंधी शपथ मुख्यमंत्री को लेना पड़ता है। यही प्रक्रिया मंत्रियों के लिए भी अपनाई जाती है।
संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत मुख्यमंत्री व उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को राज्यपाल पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं इसमें क्या प्रविधान है। शपथ के लिए अनुच्छेद 164 का ही क्यों उपयोग किया जाता है। आखिर इसमें क्या व्यवस्था है और इसकी विशेषता क्या है। इस संबंध में अधिवक्ता शांति मरावी बताती हैं कि अनुच्छेद 164(2) के अनुसार राज्य मंत्रिपरिषद राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा। अनुच्छेद 164(3) में व्यवस्था दी गई है कि किसी मंत्री के द्वारा शपथ ग्रहण करने से पहले राज्यपाल तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूपों के अनुसार उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।
अधिवक्ता शांति मरावी बताती हैं कि संविधान के अनुच्छेद 164(4) में मुख्यमंत्री व मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित व्यवस्था दी गई है। अगर किसी को बगैर विधान परिषद या विधानसभा चुनाव जीते मंत्री अथवा मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो छह महीने के भीतर उसके लिए विधानसभा चुनाव जीतना या विधान परिषद का चुनाव जीतना अनिवार्य है।
अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो छह महीने बाद उनका कार्यकाल स्वत:समाप्त हो जाता है और उसे त्यागपत्र देना पड़ता है। अधिवक्ता मरावी बताती हैं कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा विधानसभा चुनाव जीतकर आने की बाध्यता रहती है।
2000 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस को सरकार चलाने का मौका मिला। कांग्रेस विधायक दल ने अजीत जोगी को विधायक दल का नेता चुना था। तब जोगी विधानसभा के सदस्य नहीं थे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वे उपचुनाव लड़े। मरवाही विधानसभा से उपचुनाव जीते। संविधान के अनुच्छेद 164(4) में दी गई व्यवस्था व शर्तों का पालन करना पड़ा। यह अनिवार्य शर्त है इसका पारिपालन करना ही पड़ता है।
अधिवक्ता मरावी का कहना है कि राज्य मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या को लेकर भी संविधान में व्यवस्था दी गई है। तय मापदंड के अनुसार किसी राज्य की मंत्रि परिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 फीसद से अधिक नहीं होगी। यह भी मापदंड है कि किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी।
चुनाव में जिस पार्टी को सरकार बनाने लायक बहुमत प्राप्त होने की स्थिति में संबंधित दल के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाती है। पर्यवेक्षक विधायकों से सार्वजनिक रूप से और बंद कमरे में भी, विधायकों की सहमति और सुविधानुसार चर्चा करते हैं। चर्चा के दौरान विधायक दल के नेता के रूप में उनकी प्राथमिकता पूछी जाती है। इसके बाद सर्वसम्मति से विधायक दल के नेता की घोषणा की जाती है।
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया जाता है। संख्या बल के आधार पर राज्यपाल जब पूरी तरह स्थायी सरकार देने के संबंध में आश्वस्त हो जाते हैं तब संबंधित पार्टी के विधायक दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।