बिलासपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
तिल्दा- हथबंद रेलवे स्टेशन के बीच सोमवार रात तीन बजे ऑन ड्यूटी दो पेट्रोलमैन गोंदिया- बरौनी एक्सप्रेस की चपेट में आ गए। इस घटना में दोनों का शरीर कई टुकड़ों में बंट गया। यह घटना ट्रेन लाइन समझ नहीं पाने के कारण हुई। दोनों डाउन लाइन पर थे। तभी ट्रेन नजर आई। उन्हें लगा कि ट्रेन इस लाइन से गुजरेगी। इसलिए दोनों मिडिल लाइन पर आ गए। ट्रेन इसी लाइन पर आ गई। मामले में पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है।
बिलासपुर राजकिशोर नगर निवासी पंकज कुमार रावते व गया निवासी विनीत कुमार रायपुर रेल मंडल में पेट्रोलमैन के पद पदस्थ थे। सोमवार की रात दोनों की ड्यूटी लगी थी। वे रेल लाइन पर पैदल चलकर जांच कर रहे थे। रात करीब तीन बजे लगभग उन्हें गोंदिया- बरौनी एक्सप्रेस आती नजर आई। ट्रेन डाउन लाइन पर थी। उन्हें लगा कि ट्रेन इसी लाइन से गुजरेगी। लिहाजा दोनों तत्काल डाउन लाइन से हटकर मिडिल लाइन पर आ गए। इसके बाद बिलासपुर दिशा में जांच करते-करते आगे बढ़ने लगे। लेकिन क्रासिंग पाइंट पर ट्रेन की दिशा डाउन से मिडिल लाइन पर बदल गई। लेकिन दोनों पेट्रोलमैन इससे अंजान थे। मिडिल लाइन पर ट्रेन पहुंचते ही चालक को दोनों पेट्रोलमैन नजर आए। इस पर चालक बार-बार हार्न भी दिया। लेकिन पेट्रोलमैन यही सोचते रहे कि ट्रेन डाउन लाइन पर ही। चालक चाहकर भी ट्रेन को नहीं रोक पाया और दोनों को चपेट में लेते गुजर गई। घटना आधी रात की होने के कारण किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। सुबह जानकारी मिली। इसके बाद जीआरपी, आरपीएफ व जिला पुलिस पहुंची। इसके साथ ही ट्रैकमेंटनर एसोसिएशन को पता चला तो बिलासपुर से बड़ी संख्या में पदाधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हुए। दोनों पेट्रोलमैन के शरीर कई टुकड़ों में था। बाद में शरीर को उठाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
नहीं पहुंचे अधिकारी, एसोसिएशन में आक्रोश
घटनास्थल पर पहुंचने के बाद ट्रैकमैन एसोसिएशन के पदाधिकारी वहां पहुंचे। इसकी सूचना रायपुर रेल मंडल के अधिकारियों को दी गई लेकिन मंडल का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी घटनास्थल नहीं पहुंचा। अधिकारियों के इस रवैए से एसोसिएशन में आक्रोश है।
अब तक नहीं मिला सुरक्षा यंत्र
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कौशिक ने बताया कि ट्रैकमैन हर दिन जान जोखिम में डालकर ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन कराते हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए अब तक कोई भी ठोस उपाय नहीं किया गया है। उन्हें जीपीएस डिवाइस उपलब्ध कराया गया है। यह भी रेल प्रशासन ने अपने मतलब के लिए किया है ताकि ट्रैकमैनों का लोकेशन मिलता है। लेकिन वे ट्रेनों का लोकेशन जान सके इसके लिए उन्हें किसी तरह का उपकरण नहीं दिया गया है। जबकि भारतीय रेल के अन्य जोन में रक्षक नामक डिवाइस (यंत्र) ट्रैकमैन व की-मैन को दिया जा चुका है।