Bilaspur मेरा कानून: अधिवक्ता मिथलेश सिंह बताते हैं कि अगर आप बिजली का कनेक्शन ले रहे हैं तो यह भी सुनिश्चित कर लें कि कनेक्शन लेने वाले आवेदन फार्म में आपने क्या लिखा है। कनेक्शन मिलने के बाद आपको उसी अनुरूप उपयोग करना होगा। अगर आपने दूसरा उपयोग किया तो यह सीधा-सीधा बिजली चोरी की श्रेणी में गिना जाएगा। इसके लिए आप खुद ही जिम्मेदार होंगे। लिहाजा आपके खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई भी की जा सकती है। कनेक्शन लेते वक्त सोच समझकर आवेदन फार्म भरें और उसी उद्देश्य के तहत बिजली का उपयोग करें।
अधिवक्ता सिंह का कहना है कि विद्युत अधिनियम 2003 में यह प्रविधान है कि यदि कोई व्यक्ति बिजली चोरी करता है, मीटर के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ करता है या बिजली विभाग का चोरी का माल खरीदता है तो ये सभी आपराधिक कृत्य इस अधिनियम के तहत आते हैं। बिजली चोरी की श्रेणी में बिजली के खंभों से सीधे तार जोड़ना, मीटर को टेंपर्ड कर बिजली का उपयोग करना या जिस उद्देश्य के लिए कनेक्शन लिया है उसके अलावा अन्य उपयोग करना बिजली चोरी की श्रेणी में आता है। चोरी प्रमाणित होने पर सजा का भी प्रविधान है। तीन वर्ष की अवधि तक कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। धारा 138 में मीटर के साथ छेड़छाड़ करना या बिजली विभाग द्वारा कनेक्शन कट करने के बाद बिजली के खंभे से सीधे कनेक्शन जोड़ना भी अपराध है।
सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी अपराध
अधिवक्ता सिंह बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति विद्युत सामग्री को जानबूझकर नुकसान पहुंचाता है यथा उसे तोड़ता है या नष्ट करता है तो यह विद्युत अधिनियम की धारा 139 के तहत अपराध है। अगर कोई व्यक्ति बिजली लाइन को काटता है या नुकसान पहुंचाता है तो धारा 140 के तहत 10 हजार जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ेगी।
ये सभी दंडनीय
विद्युत अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले अपराध दंडनीय है। ये सभी अजमानतीय होते हैं। विद्युत अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले प्रकरणों में समंस जारी नहीं होता है। सीधे वारंट जारी होता है। अगर किसी व्यक्ति को वारंट जारी किया जाता है तो उसके लिए न्यायालय में उपस्थित होकर जमानत करवाना अनिवार्य होता है।
ये है प्रविधान
धारा 135 में बिजली चोरी करने पर सजा का प्रविधान किया गया है। बिजली चोरी के प्रकरण में पहली बार आरोपित के खिलाफ जुर्माना किया जाता है। दूसरी बार मामला सामने आने पर उसकी गिरफ्तारी की जाती है और छह से आठ गुना जुर्माना वूसल किया जाता है। विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत ऐसे प्रकरण जिसे न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है उसे प्री
लिटिगेशन प्रक्रिया के तहत लोक अदालत में पेश किया जाता है। ऐसे प्रकरणों में ब्याज राशि में 50 फीसद छूट का प्रविधान है।