राधाकिशन शर्मा. बिलासपुर। जल संरक्षण: जल संरक्षण की दिशा में छत्तीसगढ़ में अभिनव प्रयोग शुरू हुआ है। मृत नालों को नरवा योजना के तहत नवजीवन दिया जा रहा है। बिलासपुर जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया के भीतर करीब 50 नाले रखरखाव के अभाव में मिट्टी से पट गए हैं। जल संसाधन विभाग ने 10 साल पहले इन नालों को मृत घोषित कर दिया था। अब इन्हें पुन: जीवित किया जा रहा है। सुराजी गांव योजना के प्रमुख घटक नरवा (नाला) के तहत जिले के 60 नालों में वर्षा जल को रोकने के लिए विभिन्न् प्रकार के 47 स्ट्रक्चर बनाए गए हैं।
इसके माध्यम से नालों व दूसरे जल स्रोतों को उनका प्राकृतिक स्वरूप दिया गया है, ताकि बारिश का पानी बर्बाद न हो। रिजर्व एरिया के भीतर प्राकृतिक जलस्रोत के अलावा झरने भी हैं। बारिश से नालों में बहाव होने पर झरने भी पुनर्जीवित होंगे और छोटी-छोटी डबरियों को भी भरा जाएगा। इसी तरह अरपा नदी के आसपास के 10 नालों के जरिए बारिश के पानी को सीधे नदी में लाया जाएगा।
ऐसा ही प्रयास शिवनदी व खारुन नदी में चल रहा है। जिले में वर्षा जल को रोकने की इस मुहिम को केंद्र सरकार ने भी सराहा है। यही नहीं बिलासपुर जिले को नदी-नालों के पुनरुद्धार और जल संरक्षण के लिए नेशनल वाटर अवार्ड से बीते वर्ष केंद्र सरकार ने नवाजा है।
जल भराव का बनाया कीर्तिमान
जल संसाधन विभाग ने नरवा योजना के तहत विभिन्न् स्ट्रक्चर के जरिए 0.508 मिलियन घन मीटर जल भराव क्षमता का सृजन किया गया है। 152 किलोमीटर लंबाई तक नदियों एवं नालों में जलभराव किया गया है। इस वर्ष 49 लघु जलाशय योजनाओं को पूरा किया जाना है। इसमें 48.50 मिलियन घन मीटर जलभराव क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। इसके पूरा होने पर 181 किलोमीटर लंबी नदी व नालों में लबालब पानी दिखाई देगा।
सुराजी योजना के तहत मृत नालों को नवजीवन देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत कार्ययोजना बनाई गई है। इस पर कार्य शुरू हो गया है। जल संसाधन विभाग को लक्ष्य दिया गया है।
- डा. सारांश मित्तर, कलेक्टर, बिलासपुर