Bilaspur News: बच्चों के जन्म के साथ ही उनका नामकरण की परंपरा वर्षों पुरानी है। लड़का हो या लड़की नामकरण, मां-बाप बच्चों के लिए सुंदर और अर्थपूर्ण नामों की तलाश में रहते हैं। एक दशक पहले तक फिल्मी कलाकार और सेलिब्रिटीज के नाम भी बच्चों को देते थे। अब ट्रेंड बदल रहा है। माता-पिता यूनिक नाम ढूंढते हैं। इसमें सबसे ज्यादा मौसम, वेद-पुराण और देवी-देवताओं से जुड़े नामों को अधिक महत्व दिया जा रहा है।
हिंदू-सनातन परंपरा में बच्चों के जन्म के बाद उनका नामकरण करने की वर्षों पुरानी परंपरा है। नामकरण बहुत सोचञसमझकर किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चों पर उनके नाम का असर होता है। यही कारण है कि हिंदू परिवारों में भी इसे और भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। बिलासपुर में इसका असर भी दिख रहा है। ज्यादातर लोग अपने बच्चों का नाम मौसम, वेद-पुराण और देवी-देवताओं से जुड़े हुए नाम रख रहे हैं।
उदाहरण के लिए भविन यानी विजेता, अस्तित्व में रहने वाला। दर्शित-सम्मान पाने वाला, देवांश-देवों का अंश, दिविज-स्वर्ग में जन्मा, इवान-ईश्वर द्वारा दिया गया, विहान-सुबह, युवान-भगवान शिव। इसी तरह बेटियों का नाम आरना-लक्ष्मी, अदिरा-मजबूत, अहाना-सूर्य की पहली किरण, चार्वी-खूबसूरत, दीया-दीप, इला-धरती जैसे खूबसूरत और लुभावने नाम ट्रेंड कर रहा है। दो अक्षर के नाम सबसे अधिक पसंद किए जा रहे हैं।
इसी तरह मौसम से जुड़े हुए नाम भी रखने लगे हैं जैसे अयांश- जिसका अर्थ प्रकाश की पहली किरण, सूर्य या सूर्य जैसे तेज वाला और माता पिता का अंश है। रूतेश- इस नाम का अर्थ मौसमों का राजा है। विराज- सूर्य, वैभव, सौंदर्य, अग्नि को विराज कहते हैं। यह भगवान बुद्ध का दूसरा नाम है। बेटे के लिए यह नाम भी सुंदर है। इसी तरह के कई नाम पसंद किए जा रहे हैं।
अक्सर देखा गया है कि जिनके घर में नए मेहमान का आगमन हुआ होता है, उसके परिवार के सदस्यों में बच्चे का नाम रखने की एक अलग ही उत्सुकता देखने को मिलती है। सिर्फ उनका परिवार ही नहीं बल्कि रिश्तेदार भी नए-नए नाम का सुझाव देने लगते हैं। कुछ माता-पिता या दादा-दादी पहले ही सोच कर रखते हैं कि बेटा होने पर 'ये' नाम और बेटी होने पर 'वो' नाम रखेंगे। शहर के कई हास्पिटल में बच्चा पैदा होते ही नाम से पुकारने लगते हैं।