कोई भी भाषा लिखें, पढ़ें या बोलें, गलत नहीं हो: देवनारायण
डा. सीवी रामन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Tue, 22 Feb 2022 09:21:15 AM (IST)
Updated Date: Tue, 22 Feb 2022 09:21:15 AM (IST)

बिलासपुर। डा.सीवी रामन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर हिंदी, इंग्लिश, रशियन सहित कई भाषाओं के ज्ञाता और इंडियन एयर फोर्स के रिटायर्ड अधिकारी देवनारायण साहू ने विद्यार्थियों को अनेक भाषाओं के संबंध में जानकारियां दी। आयोजन में विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हुए अनेक रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी । इसमें बताया गया कि अनेक भाषा, वेशभूषा, अनेक राज्य होने के बाद भी भारत एक है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि देव नारायण साहू ने कहा कि आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि हम कोई भी भाषा लिखे, पढ़े या बोले वह गलत नहीं होना चाहिए । हिंदी पढ़ने, बोलने, लिखने में आजकल गलतियां होती हैं। इससे उसके मायने या भाव बदल जाते हैं। इसलिए आज सबसे ज्यादा जरूरत शुद्ध लेखन, शुद्ध उच्चारण की जरूरत है। मातृभाषा को एक सीमा में नहीं बांधा जा सकता। हर व्यक्ति की मातृभाषा अलग होती है, जो जिस राज्य, देश ,प्रांत और क्षेत्र में निवास करता है या जन्म लेता है, वहां मां उससे जो भाषा सिखाती है, वह उसकी मातृभाषा होती है ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि भाषा संस्कृति की संवाहक है और व्यक्तित्व निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका भाषा की ही होती है । उन्होंने कहा कि भारत में अनेक विविधताएं हैं। यही भाषा की विशेषताएं हैं ,लेकिन इसके बाद भी भारत एकता के सूत्र में बंधा हुआ है ।इस एकता के सूत्र में बंधे रहने का कारण सिर्फ यह है कि संस्कृति ही इसके मूल में है। कार्यक्रम के प्रारंभ में डीन अकादमिक डा. अरविंद तिवारी ने कहा कि मातृभाषा का विचार आते ही मा के दुलार की तरफ ध्यान जाता है ,और स्वत: ही मन उस ओर झुक जाता है।
इसी तरह ही हमारी मातृभाषा है। उन्होंने यह भी बताया कि मातृभाषा का एक बड़ा वैज्ञानिक स्वरूप भी है। उन्होंने कहा कि आज अपनी मातृभाषा को जानने समझने के साथ भावी पीढ़ी को उसके मूल स्वरूप में हस्तांतरित करने की जरूरत है। यह आयोजन भाषा विज्ञान विभाग, छत्तीसगढ़ी शोध एवं सृजन पीठ ,छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं संस्कृति केंद्र, एक भारत श्रेष्ठ भारत एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम का स्वागत भाषण डा. संगीता सिंह एवं संचालन सृष्टि शर्मा ने किया। इस अवसर पर सभी विभागों के विभागाध्यक्ष प्राध्यापक सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।
मिले सुर मेरा तुम्हारा में विद्यार्थियों ने मोहा मन
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति, खान पान, रहन-सहन के अनेक विविधताओं से भरी प्रस्तुति दी। इसमें यह दर्शाया कि विविधताओं के बाद भी भारत एक है । मिले सुर मेरा तुम्हारा गीत में सांस्कृतिक परिधानों में सजे धजे विद्यार्थियों ने भारत एक है का संदेश दिया। इसके साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत के विद्यार्थियों ने गुजराती संस्कृति और छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जुड़ी अनेक प्रस्तुतियां भी दी। साथ ही भारतीय संस्कृति, खान पान, रहन सहन के अनेक विविधताओं से भरी प्रस्तुति दी ।