नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में शनिवार को संविधान निर्माता डा.भीमराव आंबेडकर की जयंती एवं बैसाखी पर्व पर एक दिवसीय संगोष्ठी हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने युवाओं से डा.आंबेडकर और गुरु गोविंद सिंह के जीवन से प्रेरणा लेने बात कही। डा.भीमराव आंबेडकर शोधपीठ के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी अटल विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ।
संगोष्ठी के प्रबुद्ध वक्ताओं में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं कंप्यूटर अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो.एचएस होता ने संगोष्ठी के दोनों विषय क्रमशः प्रजातंत्र के प्रेरक अंबेडकर तथा गुरु गोविंद सिंह एवं खालसा पंथ के संबंध में प्रकाश डाला। इस क्रम में शासकीय जेपी वर्मा महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एसएल निराला ने डा.आंबेडर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा साहेब किसी वर्ग विशेष के नहीं थे उनके द्वारा भारतीय समाज के उत्थान के लिए सभी धर्मो के ग्रंथो का अध्ययन कर संविधान के लेखन का कार्य किया और संविधान में ऐसी प्रमुख बातें कानून के रूप समाहित की जो आज हम सब लोगों के लिए अधिकार के रूप में लिखित है। डा.निराला ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना 1699 में की थी। सिख धर्म के वे दसवें गुरु थे उन्होंने भी समाज सुधार का काम किया और मुगलो से धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
संगोष्ठी में इन्होंने भी किया संबोधित
संगोष्ठी के प्रबुद्ध वक्ता में योग प्रशिक्षक एवं प्रेरक समरजीत सिंह भाटिया ने सिख धर्म पर विशेष प्रकाश डाला अंत में कुलपति आचार्य वाजपेयी द्वारा सभी अतिथियों को डा.आंबेडकर शोध पीठ द्वारा साल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से कुलसचिव शैलेंद्र दुबे, संगोष्ठी के संयोजक एवं सहायक कुलसचिव रामेश्वर राठौड़, परीक्षा नियंत्रक डा.तरुणधर दीवान, एनएसएस के संमन्वयक डा.मनोज सिन्हा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।