फरसगांव। ग्राम पंचायत झाटीबन (आलोर) के प्रसिद्ध लिंगेश्वरी माता दरबार का द्वार सुबह करीब 10 बजे केवल मंदिर के पुजारियों ने विधि विधान पूर्वक खोला गया। मंदिर की साफ-सफाई के पश्चात ताजा दुध और चम्पा फुल से माता रानी का श्रृगांर कर विधिवत पूजा अर्चना की।
प्रवेश द्वार में शेर के पंजे का निशान
प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष जब गुफा का द्वार खोला गया तो वहाँ पर पिछले वर्ष बिछाए हुए रेत में शेर के पंजे का निशान देखे गए। समिति व पुजारियों के मान्यता के अनुसार शेर के पंजे की निशान का मतलब क्षेत्र में इस वर्ष कहीं कहीं आतंक भय व खुशहाली का मिला-जुला असर रहने का संकेत की बात कही गई।
इस वर्ष माता दर्शन के लिए श्रद्धालु हुए मायूस
बतादें कि इस वर्ष लिंगेश्वरी सेवा समिति की ओर अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालुओं के आगमन और कोरोना के संभावित तीसरी लहर को देखते हुए पूर्व में ही भक्त जनों को माता दर्शन के लिए पाबंदी लगा दी गई थी, बावजूद इसके स्थानीय एवं आस-पड़ोस के श्रद्धालु माता दर्शन के लिए पहुंचे, जिन्हें समिति के सदस्य एवं पुलिस प्रशासन द्वारा दर्शन के लिए रोका गया, जिससे कई भक्तों में मायूसी देखी गई। इसके साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा समिति के सदस्यों को मंदिर प्रवेश के लिए विनती करते हुए दिखे, श्रद्धालुओं की मायूसी को देखते हुए पुजारियों द्वारा मंदिर में मातारानी की विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात देवी मां की छतरी व मंदिर से बाहर मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थापित कर पूजा के पश्चात भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया था, जहां भक्त जन प्रवेश द्वार में ही माता का दर्शन कर मन्नाात मांगते हुए पूजा-अर्चना की।
निस्संतान विवाहित जोड़ों को दिया खीरा
दर्शन पाबंदी के बावजूद आसपास जिले के संतान की कामना मे आए कुछ ही विवाहित जोड़ों ने प्रसाद के रूप में खीरा (ककड़ी) प्रवेश द्वार में स्थापित माता की छतरी पर चढ़ाया और पुजारी द्वारा पूजाकर उसे विवाहित जोड़ों को दिया गया और उस खीरे को नाख़ून से दंपत्ति द्वारा लंबी बराबर दो फाड़ कर आसपास बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। मान्यता है कि इस खीरे को पति-पत्नी प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से संतान की प्राप्ति होती है। इसके बाद मन्नात पूर्ण हुए वो जोड़ों ने अपने संतानों के साथ माता का दर्शन करने पहुंचे। इसमें से नरहरपुर कांकेर निवासी कमलेश सिंहा दोनों पति-पत्नी को शादी के पांच से छह वर्ष बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी। इनका कहना था कि इन्होंने बच्चे की प्राप्ति के लिए कई उपाय किए, लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिली जब किसी से उक्त मंदिर की चमत्कार सुनकर मंदिर में आकर मन्नात किए तत्पश्चात उन्हें 2019 में पुत्र रत्न की प्राप्ति पर मां के दर्शन कर मत्था देका।
चप्पे-चप्पे पर पुलिस रहीं तैनात
यह क्षेत्र पूर्व में नक्लवादी क्षेत्र माना जाता रहा, साथ ही भक्तों की भीड़ को रोकने के लिए एक दिन पूर्व ही पुलिस बल की सयुक्त टीम द्वारा निरीक्षण किया गया। एक दिन पुर्व लिंगेश्वरी मंदिर परिसर और उसके आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया गया था पुलिस प्रशासन व्यवस्था में डटे रहे।