
दंतेवाड़ा। नक्सलियों के साम्राज्यवादी विरोधी सप्ताह के अंतिम दिन भारत बंद के चलते कटेकल्याण और सुकमा मार्ग पर यात्री बसें नहीं चलीं। नक्सली फरमान के बाद इन दोनों मार्गों पर चलने वाली करीब डेढ़ दर्जन वाहनों के पहिए थमे रहे। टैक्सियां भी इन मार्गों पर कम दौड़ीं। लोग दोपहिया वाहनों से जिला मुख्यालय जरूरी काम निपटाने आए थे। साप्ताहिक बाजार में भी क्षेत्र के ग्रामीण और व्यापारियों की संख्या नगण्य रही। हालांकि बंद के दौरान जिले में कहीं भी अप्रिय घटना नहीं हुई। पुलिस की सर्चिंग बीती रात से लगातार जारी है। अधिकारियों के अनुसार फोर्स नगरीय क्षेत्र के अलावा जंगल में भी मुस्तैद है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पर्चा जारी कर 23 से 29 अप्रैल तक साम्राज्यवादी विरोधी सप्ताह मनाने का ऐलान किया था। साथ ही 29 मार्च को भारत बंद का आव्हान भी किया था। इसके चलते दंतेवाड़ा से कटेकल्याण और कुआकोंडा-नकुलनार से सुकमा की ओर जाने वाली वाहनें बस स्टैंड में खड़ी रहीं। बस आपरेटरों की मानें तो इन मार्गों में करीब 15 से अधिक यात्री बसों को प्रतिदिन संचालन होता है। साथ ही, दो दर्जन टैक्सियां भी संचालित होती हैं परंतु नक्सली आव्हान में अनहोनी की आशंका से वाहनों के पहिए थमे रहे। हालांकि इन मार्गों में दोपहिया वाहन बेरोकटोक आते-जाते रहे। टैक्सी और बसों का संचालन न होने से जिला मुख्यालय के साप्ताहिक बाजार में भी असर देखा गया। ग्रामीण और व्यापारी गिनती के पहुंचे और जल्द ही बाजार निपटाकर लौट गए। नक्सली फरमान के बावजूद गीदम, जगदलपुर सहित बारसूर और बैलाडिला रोड पर निर्बाध रूप से बस व अन्य वाहनों का परिचालन होता रहा।