
हेमंत कश्यप/दंतेवाड़ा। लोकसभा चुनाव आते ही दक्षिण बस्तर के गांवों में चुनाव बहिष्कार संबंधी नक्सली हलचलें भी तेज हो गई हैं। तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भी नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था, लेकिन नक्सली चेतावनी के बाद भी इलाके में लोकतंत्र की जीत हुई थी।
ग्रामीणों को चुनाव की प्रक्रिया से दूर रखने के लिए नक्सलियों ने इंद्रावती नदी में वह नाव भी डुबा दी थी जिसे निर्वाचन आयोग ने नदी पार के मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए उपलब्ध कराया था। नक्सलियों की इस करतूत के बावजूद ग्रामीण नदी पार कर वोट डालने पहुंचे थे।
अब लोकसभा चुनाव से ऐन पहले चुनाव बहिष्कार की अपनी रणनीति को पुख्ता बनाने में जुटे माओवादी नदी पार कर वोट डालने जाने वाले ग्रामीणों से सवाल पूछ रहे हैं कि चेतावनी के बाद भी वोट डाला वो तो ठीक है, लेकिन किसी प्रत्यााशी को क्यों वोट दिया, नोटा पर बटन क्यों नहीं दबाया। अंदर के गांवों में लोकसभा चुनाव बहिष्कार को लेकर नक्सली लगातार बैठकें कर रहे हैं। बैठकों में नक्सली आदिवासियों को चुनाव से दूर रहने या नोटा पर ही वोट देने की नसीहत दे रहे हैं।
नक्सली फरमान से नोटा पर पड़े थे वोट
पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था। इस संबंध में अपने प्रभाव वाले इलाकों में बैनर पोटस्टर भी नक्सलियों ने लगाए थे। हालांकि ऐन चुनाव से पहले ग्रामीणों के दबाव के चलते नक्सली अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर हुए थे और उन्होंने चुनाव के पूर्ण बहिष्कार की बजाय नोटा पर मत देने की इजाजत ग्रामीणों की दे दी थी। नोटा पर वोट देने के नक्सली फरमान का ही असर था कि नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा विधानसभा में 9673 और चित्रकोट विधानसभा में 10848 ग्रामीण मतदाताओं ने नोटा पर वोट डाला था। नदी पार के मतदाताओं ने भी नोटा पर वोट डाला लेकिन नक्सल प्रभाव वाले गांवों में कुछ मत प्रत्याशियों को भी मिले हैें जिससे नक्सली नाराज हैं।
वोटरों ने नहीं लगवाई थी अमिट स्याही
नक्सली फरमान के वाबजूद इंद्रावती नदी के उस पार के हांदावाड़ा, हितावाड़ा, कौरगांव, चेरपाल, पोंदुम-3 मतदान केंद्र में ग्रामीणों ने नोटा पर बटन दबाने की जगह राजनीतिक पार्टियों को वोट दिया था। जिन ग्रामीणों ने वोट दिया था उनमें से ज्यादातर ने नक्सलियों के डर से अपनी उंगली पर अमिट स्याही नहीं लगवाई थी। यही वजह है कि किसी ग्रामीण को सीधी सजा दिए जाने जैसी कोई सूचना नहीं है। नदी पार के इलाके के ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि अब लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने गांव में फिर नक्सली पहुंच रहे हैं। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में हांदावाड़ा में 68, हितावाड़ा में 104, चेरपाल में 26 और पोंदुम -3 में 268 वोट कांग्रेस, भाजपा, सीपीआई को मिले हैं। प्रत्याशियों को वोट देने से नक्सली नाराज हैं और इस बार लोकसभा चुनाव में नोटा पर ही वोट डालने के अपने फरमान को सख्ती से लागू करवाने की कवायद में जुटे हैं।
वोट डालने वाले ग्रामीणों को नक्सली धमकी की सूचना पुलिस को नहीं मिली है। किसी ग्रामीण ने इस संबंध में कोई रिपोर्ट फिलहाल दर्ज नहीं कराई है। अगर यह सूचना सही है तो इसकी तस्दीक कराई जाएगी।
-एनके खरे, एसपी दंतेवाड़ा