Publish Date: | Thu, 28 Jul 2022 01:36 PM (IST)
नईदुनिया(दंतेवाड़ा)। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला की पहाड़ियों में केवल लौह अयस्क ही नहीं, बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य और अनोखे जीवों के लिए भी चर्चा का विषय बनती जा रही है। ऐसा ही एक जीव (दुर्लभ) हिरण) बचेली के सुभाष नगर में 22 जुलाई की रात के समय जंगल से भटकते हुए आ गया। इसकी सूचना यहां के लोगों ने वन विभाग को दी।
बचेली वन परिक्षेत्र अधिकारी 5 आशुतोष मांडवा डिप्टी रेंजर अघन श्याम भगत, बीट ऑफिसर राजेश कर्मा सहित वन कर्मी के साथ पहुंचे और इस जीव को कार्यालय ले गए। वन परिक्षेत्र अधिकारी आशुतोष मांडवा ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश के अनुसार रायपुर जंगल सफारी के पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर बचेली के पशु चिकित्सक से इस जीव की जांच करवाई गई। पशुचिकित्सक से उसका उपचार करवा के ठीक होने पर उसे जंगलो में फिर से छोड़ दिया गया है। गोंडी में इसे तुरें कहा जाता है।
ये विश्व में हिरण की सबसे छोटी प्रजाति है
इंडियन माउस डियर (इंडियन स्पॉटेड शेवरोटेन) जिसका वैज्ञानिक नाम मोसियोला इंडिका हैं। ये विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती है। इसकी लंबाई 575 सेंटीमीटर होती हैं और वजन 3 किलोग्राम के आस पास होता है। बैलाडीला की पहाड़ी काफी घने जंगलों वाली पहाड़ी है, जहां वन विभाग द्वारा इनके पीने के पानी के लिए तालाब निर्माण भी करवाए गए हैं। बैलाडीला की पहाड़ी करीब 20 किलोमीटर से भी अधिक लंबी है, जो जंगली जनवरों के लिए सुरक्षित माना जाता है। बचेली के सुभाष नगर के पास भी बैलाडीला की पहाड़ियों से ही नीचे उतरा था। हालांकि इससे पहले इतना छोटा हिरण बैलाडीला में कभी नहीं देखा गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया माचकोट,कोलेंग के जंगलों में भी दुर्लभ प्रजाति के सांप और दूसरे जंगली जानवर मौजूद है।
डीएफओ दंतेवाड़ा संदीप बलगा ने बताया कि बड़ी खुशी की बात है कि दंतेवाड़ा के बैलाडीला की पहाड़ियों में सबसे छोटा हिरण देखने को मिला और भी हिरण हो सकते है, जिनकी निगरानी रखी जाएगी।
Posted By: Ashish Kumar Gupta