धमतरी। पिछले साल अच्छी बारिश से सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही गंगरेल बांध छलक गया था। साढ़े 31 टीएमसी से अधिक जलभराव हो गया था और बांध से पानी भी छोड़ दिया गया था, लेकिन इस साल गंगरेल बांध में बमुश्किल से आधे से कुछ अधिक पानी ही भर पाया है। भादो माह में हो रही रूक-रूककर बारिश से अब बांधों की सेहत में कुछ सुधार जरूर होने लगा है, इससे थोड़ी राहत जरूर है, लेकिन गर्मी सीजन के लिए चुनौती रहेगी।
32 टीएमसी क्षमता के गंगरेल बांध में अभी कुल जलभराव 18 टीएमसी से कुछ अधिक है, इसमें से 13 टीएमसी पानी ही उपयोगी है। कैंचमेंट एरिया से बांध में 3364 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है। बांध से 528 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इसी तरह मुरूमसिल्ली बांध में करीब चार टीएमसी जलभराव है।
सिंचाई से कम हुआ बांध का पानी-
दुधावा में साढ़े तीन टीएमसी और सोंढूर बांध में चार टीएमसी जल संग्रहण हो चुका है। जिस तरह इस साल अल्प वर्षा की स्थिति बनी है। पहले से ही गंगरेल बांध से धमतरी, रायपुर, बलौदाबाजार व बालोद जिले के सिचिंत क्षेत्र को पानी दिया जा रहा था। कुछ दिनों तक सिंचाई पानी चलने के कारण बांध में काफी कम पानी रह गया था और पिछले सप्ताह जल संसाधन विभाग को बांध के गेट बंद करने पड़े थे। इसके बाद थोड़ी बारिश से बांध में जल संग्रहण तो हुआ है, लेकिन जरूरत के मुकाबले काफी कम है। सहायक बांध सोंढूर, दुधावा एवं माड़मसिल्ली में हाल की बारिश से जल संग्रहण में सुधार हुआ है। इस सप्ताह की बारिश इन बांधों के लिए वरदान माना जा रहा है, लेकिन पूर्ण जलभराव के लिए अभी भी अच्छी बारिश का इंतजार है। गंगरेल बांध ही छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक क्षेत्र को सिंचाई पानी देता है। साथ ही इसी बांध पर भिलाई स्टील प्लांट संयंत्र भी निर्भर है। रायपुर नगर निगम और धमतरी की भी प्यास इस बांध से बुझती है।
ग्रीष्म काल में रहेगी चुनौती
ग्रीष्म काल में पेयजल एवं निस्तारी के लिए पानी की आपूर्ति भी इसी बांध से की जाती है। ऐसे में जल संसाधन विभाग सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी को ही उपलब्ध करा पाता है। इस साल जैसी स्थिति है, उस मुताबिक खरीफ सीजन में ही धान की फसल को पानी की और जरूरत पड़ेगी। ऐसे में अच्छी बारिश जरूरी है अन्यथा गर्मी में पेयजल एवं निस्तारी संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस साल कम बारिश के कारण भूजल स्तर में बढ़ोत्तरी के आसार भी नहीं है। कई क्षेत्रों में तो सामान्य के मुकाबले कम बारिश हुई है और पेयजल के स्रोत बेहतर स्थिति में नहीं है। बांधों से ही सिंचाई के कारण सिंचित एरिया में किसान फसल बचा पाए है। कुछ सुविधा संपन्ना किसानों को निजी बोर सिंचाई सुविधा से राहत मिली है, लेकिन असिंचिंत क्षेत्रों में सूखे की स्थिति है।