धमतरी। भक्ति और शक्ति का पर्व क्वांर नवरात्र सात अक्टूबर से प्रारंभ होने जा रहा है। पर्व को लेकर शहर व अंचल के सभी देवी मंदिर सजने लगे हैं। घट स्थापना और मनोकामना जोत प्रज्वलित के लिए मंदिरों मर तैयारी अंतिम चरणों में है। मंदिरों में आकर्षक विद्युत सजावट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंदिरों में मनोकामना जोत के लिए पंजीयन का क्रम जारी है।
मां अंबे का नौ दिवसीय क्वांर नवरात्र सात अक्टूबर से प्रारंभ होगा। नौ दिनों तक देवी मंदिरों में भजन-कीर्तन, आराधना के कार्यक्रम लगातार होंगे। इसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है। शहर की आराध्य देवी मां विंध्यवासिनी में श्रद्धालु मनोकामना जोत पंजीयन के लिए पहुंच रहे हैं।
मां विंध्यवासिनी मंदिर में जोत प्रज्वलन के लिए कलशों की साफ सफाई व रंग रोगन किया जा चुका है। मंदिर के अंदर और बाहर विद्युत की सजावट की गई है। इसी तरह शहर के दानीटोला वार्ड स्थित शीतला माता मंदिर, गंगरेल स्थित मां अंगारमोती मंदिर, मराठा पारा स्थित मंदर माई मंदिर, शीतला मंदिर गोकुलपुर, शीतला मंदिर गोकुलपुर वार्ड, गायत्री मंदिर, सोरिद वार्ड स्थित काली मंदिर, काली मंदिर बस स्टैंड, रत्नेश्वरी मंदिर रत्नाबांधा, दुर्गा मंदिर बठेना वार्ड सहित अन्य देवी मंदिरों में नवरात्र की तैयारी जारी है।
सभी देवी मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि नवरात्र में सच्चे दिल से की गई प्रार्थना और मनोकामना व्यर्थ नहीं जाती। इसलिए परिवार की सुख शांति और समृद्धि के लिए नवरात्र में मां अंबे की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
अमेरिका, कनाडा के भक्त भी जला रहे मनोकामना
मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार धमतरी के निवासी जो वर्तमान में अमेरिका, कनाडा में जाकर वहां बस गए हैं, उनकी मां विंध्यवासिनी के प्रति असीम श्रद्धा आज भी कम नहीं हुई है। बीते 10 साल ऐसे भक्त हर चैत्र नवरात्र व क्वांर नवरात्र में यहां जोत प्रज्वलित करवाते आ रहे हैं।
कोरोना काल के बाद कुम्हारों को मिली राहत, बन रही आकर्षक मूर्तियां
क्वार नवरात्र को लेकर इस बार उत्साह का माहौल है। कोरोना काल के बाद इस बार राहत मिलने से मूर्तिकारों को काफी राहत मिली है। मूर्तिकारों ने बड़े पैमाने पर मां अंबे की मूर्तियां बनाई है। मूर्तिकार शिव कुंभकार, गगन कुंभकार सहित अन्य मूर्तिकारों ने बताया कि धमतरी शहर के अलावा आसपास के गांवों सहित कांकेर, चारामा, रायपुर से आयोजन समिति के लोग मूर्तियां बनवाने के लिए धमतरी पहुंचते हैं। पूर्व में मूर्तियां बनवाने के मिले आर्डर को पूरा कर रहे हैं। कुछ काम ही बाकी रह गया है।