नईदुनिया प्रतिनिधि, दुर्ग: दुर्ग जिले में मतातंरण मामले को लेकर घमासान तेज हो गया है। बुधवार को सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दुर्ग सेंट्रल जेल पहुंचा और मतांतरण के आरोप में बंद दो ननों से मुलाकात की। सांसदों ने इस मामले को फर्जी और राजनीति से प्रेरित करार देते हुए राज्य सरकार और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीपीआई के सांसदों में बृंदा करात, एनी राजा, के. राधाकृष्णन, जोश के मनी, एए रहीम और पीपी सुनीर शामिल थे। ये सभी सांसद मंगलवार को भी जेल पहुंचे थे, लेकिन देर होने के कारण उन्हें मुलाकात की अनुमति नहीं मिल सकी थी। बुधवार सुबह नौ बजे के करीब प्रतिनिधिमंडल ने जेल में दोनों ननों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य व जेल में हो रहे व्यवहार के बारे में जानकारी ली।
मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सीपीएम नेता बृंदा करात ने कहा कि जो हमने सुना और देखा उससे बहुत दुखी हैं। दोनों नन गरीबों के बीच सालों से सेवा कार्य कर रही थीं। उन्हें एक फर्जी मामले में फंसाकर जेल में डाल दिया गया है।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि ये ननों की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की संकीर्ण मानसिकता और एजेंडे का हिस्सा है। करात ने आगे बताया कि ननों की तबीयत खराब है, उन्हें आर्थराइटिस और बुखार है, फिर भी उन्हें जमीन पर सुलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जीआरपी के सामने ही उनकी पिटाई की और बयान बदलवाने का दबाव डाला।
उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यहां रूल ऑफ लॉ नहीं, गुंडों का राज चल रहा है। यह पूरी कार्रवाई ग़ैर-क़ानूनी, असंवैधानिक और मानवता के खिलाफ है। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है प्राथमिकी को तुरंत वापस लिया जाए। दोनों ननों को बिना शर्त रिहा किया जाए, बजरंग दल और पुलिस कर्मियों की भूमिका की जांच हो आदिवासी युवकों को बयान बदलवाने के लिए धमकाया गया, इस पर भी कार्रवाई हो। मतांतरण और मानव तस्करी के आरोप गलत हैं।
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गौरतलब है कि जीआरपी ने बीते शुक्रवार को दो ननों प्रीति मेरी व वंदना फ्रासिंस एवं युवक सुकमन को मानव तस्करी और मतांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस पूरे मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है।