Durg News: हैदराबाद से अंबिकापुर जा रहे थे 12 बच्चे, दुर्ग में किए गए रेस्क्यू
आरपीएफ और सीआइबी की टीम दुर्ग स्टेशन के प्लेटफार्म में सर्चिंग कर रही थी। तभी उनकी नजर प्लेटफार्म नंबर चार में बैठे बच्चों पर पड़ी।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 10:55:25 AM (IST)
Updated Date: Mon, 01 Apr 2024 10:55:25 AM (IST)
HighLights
- किसी जिम्मेदार के बिना हैदराबाद से अंबिकापुर जा रहे थे बच्चे
- साथ में कोई व्यस्क न होने पर आरपीएफ की टीम ने चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर किया रेस्क्यू
- हैदराबाद के बालाजी गुरुकुल का मामला
नईदुनिया प्रतिनिधि, दुर्ग, भिलाई। हैदराबाद के बालाजी गुरुकुल से बिना किसी व्यस्क जिम्मेदार व्यक्ति के अंबिकापुर भेजे जा रहे 16 बच्चों को चाइल्ड लाइन ने आरपीएफ के साथ मिलकर दुर्ग रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू किया है। सभी बच्चे सिकंदराबाद रायपुर एक्सप्रेस से दुर्ग तक आए थे और दुर्ग से दुर्ग अंबिकापुर एक्सप्रेस से अंबिकापुर जाने वाले थे। इसी दौरान दुर्ग रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर बैठे सभी बच्चों पर आरपीएफ की टीम की नजर पड़ी। पूछताछ में बच्चों ने अपने साथ किसी व्यस्क के न होने की जानकारी दी। इस पर आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन को जानकारी दी और बच्चों को रेस्क्यू कर उन्हें सीडब्ल्यू के समक्ष पेश किया गया। जहां से बच्चों को बाल गृह में भेजा गया है।
दो दिन पहले आरपीएफ और सीआइबी की टीम दुर्ग स्टेशन के प्लेटफार्म में सर्चिंग कर रही थी। तभी उनकी नजर प्लेटफार्म नंबर चार में बैठे बच्चों पर पड़ी। उन्होंने पहले बच्चों से पूछताछ की तो पता चला कि वे लोग हैदराबाद के बालाजी गुरुकुल के विद्यार्थी हैं और सभी अंबिकापुर जा रहे हैं। लेकिन, उनके साथ कोई भी व्यस्क जिम्मेदार व्यक्ति नहीं था।
इसके बाद सभी बच्चों को स्टेशन के विशेष कक्ष में ले जाया गया और चाइल्ड लाइन को बुलाकर सौंपा गया। दुर्ग स्टेशन पर मिले सभी 12 बच्चे देश के विभिन्न प्रदेशों से है। जिसमें तीन बच्चे झारखंड, दो नागालैंड, एक असम और छह बच्चे छत्तीसगढ़ के हैं। जिनमें छत्तीसगढ़ तीन बच्चे 3 रायगढ़, एक पेंड्रा, एक बलौदा बाजार, एक जशपुर का है। इस मामले में गुरुकुल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। रेस्क्यू किए गए बच्चों में 11 की उम्र छह से 12 साल है और सिर्फ एक बच्चा 16 साल का है। यदि बच्चे कहीं भटक जाते या किसी अन्य दुर्घटना का शिकार हो जाते तो इसका जिम्मेदार कौन होता? फिलहाल अभी सीडब्ल्यूसी की टीम मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है।
इनका कहना है
आरपीएफ और सीआइबी की टीम के साथ सर्चिंग कर रही थी। तभी बच्चों पर नजर पड़ी, बातचीत में बच्चों ने बताया कि उनके साथ कोई व्यस्क नहीं आया है तो चाइल्ड लाइन को बुलवाकर सुरक्षार्थ उन्हें सौंपा गया।
एसके सिन्हा, आरपीएफ दुर्ग प्रभारी
सभी बच्चे अलग अलग प्रदेश के हैं। वहां की चाइल्ड लाइन उन बच्चों के परिवार वालों से संपर्क करेगी और सामाजिक जांच के बाद बच्चों को यहां से उनके शहर भेजकर परिवार वालों को सौंपेगी।
मंजुला देशमुख, सदस्य बाल कल्याण समिति दुर्ग