दुर्ग। नईदुनिया प्रतिनिधि
रबी फसल में इन दिनों लौकी व करेला सब्जी की फसल ले सकते हैं। इन फसलों के लिए मटासी और दोमट मिट्टी को उपयुक्त बताया गया है। मिट्टी हल्की भुरभुरी होती है और इसमें पानी का जमाव नहीं होता।
जिले में इन दिनों रबी फसल का मौसम चल रहा है। रबी में धान ,गेहू व चना के अलावा किसान सब्जी फसल भी लेते हैं। यह सीजन लौकी व करेला सब्जी के लिए बेहतर होता है। किसान फरवरी और मार्च महीने में इसकी बोनी कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार लौकी व करेला की खेती के लिए बुलई टोमट(सैण्डी लोम) और मटासी मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी हल्की भुरभुरी होने के कारण पानी का जमाव नहीं होता। जो इन फसलों के लिए उपयुक्त है। इन फसलों को उगाने के लिए खेत में पानी निकासी की व्यवस्था करना आवश्यक है। इसी तरह करेला की खेती के लिए भी खेत में पानी निकासी की व्यवस्था होना जरुरी है। पानी भरे होने की सूरत में बीज जल्द सड़ने की संभावना बनी रहती है।
मंडप बनाकर देना होता है फसलों को सहारा
जिले के धमधा व दुर्ग ब्लाक के किसान लौकी व करेला की फसल लेते है। इनकी सुरक्षा के लिए मंडप बनाकर सहारा देना जरुरी होता है। मंडप बनाने के लिए करीब डेढ़ मीटर ऊंचे बांस का सहारा लेता पड़ता है। दो बांस के बीच तीन से चार मीटर दूरी रखनी होती है। तार व रस्सी बांधकर दोनों मंडप को आपस में जोड़ा जाता है। पौंदों को सुतली व रस्सी के सहारे मंडप पर चढ़ा देते हैं। वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने पर प्रति हेक्टेयर लौकी का उत्पादन 250 से 300 क्विंटल तथा प्रति हेक्टेयर करेला का उत्पादन 150 से 175 क्विंटल तक होता है।
---------------