नईदुनिया प्रतिनिधि ,दुर्ग: मंत्रालय में 12 लोगों को नौकरी लगाने के नाम पर लगभग 70 लाख रुपये की धोखाधड़ी का पर्दाफाश पुलिस ने किया है। इस मामले में पिता-पुत्र भेषराम देशमुख (62 वर्ष) और रविकांत देशमुख (32 वर्ष) को अंजोरा थाना पुलिस ने बस स्टैंड दुर्ग से गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। वहीं, तीसरा आरोपी अरुण मेश्राम निवासी राजनांदगांव फरार है, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस ने प्लाट की रजिस्ट्री, बैंक पासबुक और डायरी भी जप्त की है।
आरोपियों ने बेरोजगारों से मंत्रालय में चपरासी के लिए 2,50,000 रुपये और बाबू के पद पर नियुक्ति के लिए 4,00,000 रुपये तक की रकम वसूली। अब तक 12 लोगों से ठगी की जानकारी सामने आई है। आरोपियों ने कुल मिलाकर करीब 70 लाख रुपये की धोखाधड़ी की बात कबूल की है। प्राप्त रकम से ग्राम कुथरेल में 12 लाख रुपये का प्लाट खरीदा गया है, जबकि बाकी रकम पिता-पुत्र ने खर्च कर दी है।
प्रार्थी संतराम देशमुख निवासी ग्राम चिरवार (जिला बालोद) ने 2 जुलाई 2022 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आरोपी भेषराम और रविकांत ने अपने साथी अरुण मेश्राम के साथ मिलकर नौकरी लगाने के नाम पर उनसे 5 लाख रुपये ठग लिए। आरोपियों ने उन्हें मंत्रालय में नियुक्ति का झांसा दिया लेकिन नौकरी नहीं लगाई। पुलिस ने धारा 420, 34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में अन्य प्रार्थियों लोमश देशमुख और हेमंत कुमार साहू द्वारा भी नौकरी के नाम पर ठगी की शिकायतें मिली।
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जांच के दौरान प्रार्थियों के बयान, ऑनलाइन ट्रांसफर की जानकारी और दस्तावेजों की जांच कर आरोपियों की तलाश की गई। 6 सितंबर 2025 को पुलिस ने भेषराम और रविकांत को पकड़कर पूछताछ की। दोनों ने ठगी की बात स्वीकार करते हुए बताया कि उन्होंने अरुण मेश्राम के साथ मिलकर नौकरी का झांसा देकर 70 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। इसके अलावा उन्होंने कबूल किया कि अपने हिस्से में मिले 20 लाख रुपये में से 12 लाख रुपये ग्राम कुथरेल में प्लाट खरीदने में लगाए हैं।