राजिम। सनातन का तात्पर्य कल, आज और आने वाला कल भी रहेगा। सनातन धर्म अपौरुषीय है। किसी पुरुष द्वारा बनाया हुआ नहीं है। बल्कि आदिकाल से सनातन धर्म की रक्षक दशनाम सनातन गोस्वामी समाज रहा है। यह बात भगवान श्री दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर नगर के श्री दत्तात्रेय मंदिर परिसर में गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कही।
कार्यक्रम में अतिथियों ने मेधावी छात्रों को नकद राशि से पुरस्कृत किया। युवक युवती परिचय हुआ। इसके पूर्व मंदिर परिसर से शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें सभी बंधुओं ने भगवा ध्वज लेकर भगवान श्री दत्तात्रेय का जयकारा करते हुए नगर भ्रमण किए। सभी के माथे पर त्रिकूट चंदन लगाए और भगवा झंडा लिए मानों राजिम नगर धर्ममय हो गया था। इस अवसर पर महंत ने कहा कि हमारी पहचान यह होनी चाहिए कि हम अन्य सभी समाजों के लिए प्रेरणा बनें और अन्य समाज के लोग उसका अनुकरण करें। तभी हम सनातनी सच्चे मायने में कहलाएंगे। जो प्रेरणा देता हैं, उसे गुरु माना जाता है। भगवान श्री दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए थे, जो अच्छा लगा उसे भगवान ने अपना गुरु माना। लेकिन आज स्थिति यह है कि हम एक गुरु बनाते हैं, लेकिन एक गुरु का आदर-सम्मान व उनकी भावनाओं का ख्याल नहीं रख सकते। हमारे पूर्वजों ने जो दिया है उसको सहेजकर हम चलें। पूर्वजों ने हमें जो स्थिति पर लाए हैं, आज हमें उसका सुपरिणाम सम्मान के रूप में मिल रहा है। लेकिन आज इस बात का चिंतन-मनन करने की आवश्यकता है कि इसे कायम कैसे रखना है। सनातन दशनाम गोस्वामी समाज के प्रदेश अध्यक्ष उमेश भारती ने कहा कि भगवान श्री दत्तात्रेय में गुरु और ईश्वर दोनों समाहित हैं। 24 गुरु बनाए हैं, साथ ही त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों संयुक्त रूप से विराजमान हैं। यह हम समाज के लिए गौरव की बात है।