नईदुनिया न्यूज, गरियाबंद: प्रदेश में मध्यान्ह भोजन योजना से जुड़ी रसोइयों ने सरकार द्वारा चुनाव में किए गए वादों को पूरा न किए जाने पर तीन दिवसीय हड़ताल की। गरियाबंद जिले में रसोईया संघ के बैनर तले एक हजार से अधिक रसोइयों ने गांधी मैदान में धरना देकर विरोध जताया और कलेक्टर कार्यालय के बाहर रैली निकालकर नारेबाजी की। रसोइयों का कहना है कि उन्हें प्रतिमाह मात्र दो हजार रुपये मानदेय दिया जाता है, जो वर्तमान समय की महंगाई में बेहद अपर्याप्त है।
2023 के विधानसभा चुनाव में सरकार ने वादा किया था कि सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर रसोइयों के मानदेय में 50% की वृद्धि की जाएगी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मुद्दे को लेकर रसोइयों ने मोदी गारंटी की याद दिलाते हुए वादे को शीघ्र पूरा करने की मांग की। रसोईया संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामराज कश्यप ने बताया कि 15 रुपये प्रतिदिन से शुरू हुई मजदूरी दर को 30 सालों में 66 रुपये तक पहुंचाया गया है।
यह दर आज की महंगाई में बेहद कम है। हम मांग करते हैं कि रसोइयों को कलेक्टर दर पर भुगतान किया जाए। उन्होंने आगे बताया कि राज्य में 10,644 स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है, जिससे बड़ी संख्या में रसोइयों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। जो महिलाएं 15 से 30 सालों से सेवा दे रही हैं, उन्हें अचानक हटाया जा रहा है अब वे जाएं तो जाएं कहां? उन्होंने सवाल किया। स्थानीय रसोईया सावित्री देवांगन ने कहा, हमें केवल 2 हजार रुपये मासिक दिए जाते हैं। हम भी परिवार चलाते हैं, बच्चों की पढ़ाई, राशन, इलाज सब 2 हजार में कैसे संभव है? हमें कम से कम कलेक्टर दर पर भुगतान मिलना चाहिए।
इस आंदोलन को लेकर गरियाबंद के डिप्टी कलेक्टर पंकज डाहिरे ने बताया कि रसोईया संघ की मांगों को प्राप्त कर लिया गया है और उन्हें उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि हड़ताल के दौरान मध्याह्न भोजन योजना प्रभावित न हो, इसके लिए जिला प्रशासन ने महिला स्व सहायता समूहों को भोजन पकाने की जिम्मेदारी दी है। हालांकि रसोइयों का कहना है कि यह समाधान नहीं, बल्कि समस्या से ध्यान हटाने का तरीका है। रसोइयों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें शीघ्र नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।