मैनपुर। वनांचल क्षेत्र के अंधिकांश गांवों में ग्रामीणों के मुख्य आय का जरिया वनोपज है। इसी से जीवन निर्वहन करते आ रहे हैं। वर्तमान में ग्रामीण सरई बीज का संग्रहण कर रहे हैं। जंगल तथा पहाड़ी इलाके में भारी मात्रा में वनों से वहां निवास करने वाले लोगों को कई प्रकार के आर्थिक लाभ मिलता है किन्तु हाट बाजारों, छोटे दुकानों में औने पौने दाम के चक्कर में अपने वनोपज को बिचौलियों के पास बेच देते हैं।
ज्ञात हो कि मैनपुर विकासखंड क्षेत्र घने जंगलों मे बसा हुआ है और यहां निवास करने वाले ग्रामीण इलाके के लोग वनोपज पर आधारित रहते हैं। वे जंगलों से वनोपज एकत्र कर उसे बेचते हैं और उससे मिलने वाले आय से जीविकोर्पाजन करते है, ग्रामीण तपती धूप में तरह तरह के लाख, हर्रा, चार, चिरौंजी, टोरी, महुआ, साल सरई, कोसम, रसना जड़ी अनेक वनोपज एकत्र करते हैं। भले ही सरकार द्वारा वनोपज खरीदी करने के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन यह इस वनांचल क्षेत्र में सिर्फ कागजों पर हो रहा है। वनांचल में निवास करने वाले लोग पूरे साल भर वनोपज का संग्रहण कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। लाकडाउन के साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है। खासकर ग्रामीण इलाकों के रहवासी वनों पर आधारित वनोपज का संग्रहण करने में लगे हैं। मिली जानकारी के अनुसार सभी प्रकार के वनोपज का समर्थन मूल्य तय किया गया है।
व्यापारियों से तुरंत मिलता है पैसा, इसलिए बेचते हैं वनोपज : गौरतलब है कि सरकार वनोपज का समर्थन मूल्य घोषित कर लघु वनोपज के माध्यम से खरीदी करने की व्यवस्था की है, हालांकि बाजार में वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य में करने की छूट दी है जिसके चलते संग्राहक लघु वनोपज समितियों व स्व सहायता समूहों के बजाय बाजार में व्यापारियों के पास विक्रय करते हैं क्योंकि उन्हें व्यापारियों के पास वनोपज बेचने पर तत्काल नगद पैसा मिलता है और वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। पिछले वर्ष साल सरई बीज का समर्थन मूल्य 20 रुपये निर्धारित था।
तूफान से सरई के फूल से सड़क पर चादर की तरह बिछा : क्षेत्र में इन दिनों वनोपज संग्रहण सरई बीज का किया जा रहा है। यह साल वृक्ष का फल है जिसे संग्रहण करने ग्रामीण इलाके में लोग सुबह 4 बजे जंगल की तरफ निकल जाते है और इसे पेड़ के नीचे से एकत्र कर जलाकर साफ सफाई के बाद बीज को दुकानों में विक्रय करते हैं और इससे मिलने वाले आय से ग्रामीण जीवन यापन करते हैं। वनांचल मैनपुर क्षेत्र में बीते रविवार रात को हवा तूफान से सरई का फल पूरे क्षेत्र के जंगलों में बिखरा गया। सोमवार सुबह जब ग्रामीण सरई फल का संग्रहण करने जंगल की तरफ रुख किये तो खुशी से उनके चेहरे खिल उठे क्योंकि चारों तरफ सिर्फ सरई का फल चादर की तरह बिछा हुआ नजर आ रहा था। मैनपुर गोबरा मार्ग में डामर और पगडंडी सड़क के ऊपर सरई का फल चादर की तरह बिछा हुआ दिख रहा है।