नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घोषणा की कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब केवल दक्षिण बस्तर के सीमित हिस्से में माओवाद का नाममात्र प्रभाव शेष है, जिसे सुरक्षा बल जल्द ही समाप्त करेंगे।
चार दशकों तक माओवादी संगठन का अभेद्य गढ़ माने जाने वाले इन जंगलों पर अब सुरक्षा बलों की पूरी पकड़ है। भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (CRB) सचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति उर्फ सोनू के आत्मसमर्पण के बाद संगठन का तंत्र बिखरना शुरू हो गया।
उनके समर्पण के बाद मात्र दो दिनों में 278 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण के लिए आगे आए। इनमें माड़ डिविजन, गढ़चिरौली डिविजन, इंद्रावती नेशनल पार्क एरिया कमेटी और रावघाट एरिया कमेटी के सक्रिय सदस्य शामिल हैं।
ये सभी अपने हथियारों के साथ जगदलपुर पहुंच चुके हैं और शुक्रवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के समक्ष सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण करेंगे। यह वही क्षेत्र है, जहां माओवादी ‘जनताना सरकार’ का नारा लेकर शासन करते थे। अब डबल इंजन सरकार ने माओवाद के ढांचे को जड़ से हिला दिया है।
देश में अब तक का सबसे बड़ा माओवादी आत्मसमर्पण अभियान बीजापुर जिले में शुरू होने जा रहा है। प्रवक्ता रूपेश समेत लगभग 130 माओवादी आत्मसमर्पण के लिए तैयार हैं। माड़ क्षेत्र के माओवादी इंद्रावती नदी पार उसपरी घाट पर इकट्ठा हो रहे हैं।
बीजापुर पुलिस ने माड़ और भैरमगढ़ तक सुरक्षा कड़ी कर दी है। सभी माओवादी अपने हथियारों के साथ जगदलपुर ले जाए जाएंगे। यह अभियान महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, अंतागढ़ और सुकमा के बाद माओवाद के सफाए की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बस्तर में अब माओवादी सक्रियता केवल दक्षिणी क्षेत्र तक सिमट गई है। करेंगुट्टा पहाड़ियों तक सुरक्षा बलों की पकड़ मजबूत है और माओवादी कारिडोर लगभग ध्वस्त हो चुका है।
वर्तमान में केवल दो शीर्ष माओवादी नेता- मिलिट्री कमिशन प्रमुख और पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी तथा केंद्रीय समिति सदस्य हिड़मा - की आंशिक सक्रियता बची है। दोनों ही अब सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर हैं।
पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई और अभियानों ने अबूझमाड़ के माओवादी नेटवर्क को तहस-नहस कर दिया। अबूझमाड़ के जंगलों में हुई मुठभेड़ों में कई शीर्ष माओवादी जैसे बसव राजू, के. रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुड्सा उसेंडी, के. सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा, और थेटू लक्ष्मी उर्फ सुधाकर मारे गए।
अबूझमाड़ के अभियानों में अब तक 89 माओवादी मारे गए, जबकि दक्षिण बस्तर के 200 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अबूझमाड़ की घाटियों में बंदूक की गूंज थम चुकी है और वहां शासन, विकास और विश्वास की नई सुबह शुरू हो रही है।