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नईदुनिया, जगदलपुर। बस्तर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व (आइटीआर) में बाघों की पहचान और गणना अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक से होगी। पहले जहां यह काम कैमरा ट्रैप और मानव विश्लेषण पर निर्भर था, वहीं अब मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग मॉडल्स की मदद से हर बाघ की धारियों के विशिष्ट पैटर्न से उसकी डिजिटल पहचान (टाइगर आइडी) बनाई जाएगी। यह प्रणाली न केवल गणना को सटीक बनाएगी, बल्कि शिकारियों की गतिविधियों पर भी वास्तविक समय में नजर रखेगी।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने वन्यजीव संस्थान (डब्लूआइआइ) और वन विभाग के सहयोग से 2018 में पहली बार गणना में एआइ तकनीक का उपयोग किया था। उस समय यह केवल कैमरा ट्रैप छवियों की पहचान और डेटा संग्रह तक सीमित था। अब 2025 में यह तकनीक अत्यधिक विकसित हो चुकी है। आधुनिक एआइ मॉडल अब व्यक्तिगत बाघ पहचान, प्रेडिक्टिव मॉडलिंग, गश्त मार्ग सुझाव और अपराध पूर्वानुमान जैसी क्षमताओं के माध्यम से संरक्षण को तेज, स्मार्ट और कारगर बना रहे हैं।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व के निदेशक आइएफएस सुदीप बलगा ने बताया, एआइ अब केवल डेटा नहीं पढ़ता, बल्कि जंगल की भाषा समझने लगा है। यह मॉडल शिकार की पुरानी घटनाओं, मौसम, पर्यावरणीय कारकों और मानव गतिविधियों का विश्लेषण कर यह अनुमान लगाता है कि भविष्य में किस क्षेत्र में शिकार की आशंका अधिक है।
कभी माओवादी प्रभाव के कारण सर्वेक्षण में बाधा आती थी, पर इंद्रावती टाइगर रिजर्व अब सक्रिय संरक्षण के नए दौर में है। हाल के महीनों में माओवादी गतिविधियों में कमी और सुरक्षा बलों की गश्त बढ़ने से, वर्षों बाद वनकर्मी रिजर्व के कोर क्षेत्र तक पहुंच पा रहे हैं। यहां कैमरा ट्रैप में बाघों और उनके शावकों की नई तस्वीरें सामने आई हैं। अब एआइ-आधारित पहचान प्रणाली से हर बाघ का डिजिटल प्रोफाइल तैयार किया जाएगा। वन विभाग स्थानीय युवाओं को इको-वारियर के रूप में प्रशिक्षित कर रहा है, जो पगमार्क, स्कैट (मल) और मूवमेंट जैसी सूचनाएं मोबाइल एप के जरिए साझा करेंगे, ताकि फील्ड डेटा तुरंत विश्लेषण के लिए उपलब्ध हो सके।
1. ट्रेलगार्ड एआइ सिस्टम : कैमरों में लगे सेंसर गति का पता लगाते हैं और संदिग्ध गतिविधि दिखने पर 30–40 सेकंड में वन अधिकारियों को तत्काल अलर्ट भेजते हैं।
2. पास (प्रोटेक्शन असिस्टेंट फॉर वाइल्डलाइफ सिक्योरिटी) एप : यह एप स्थलाकृति, जानवरों के रास्तों और गश्त मार्गों का विश्लेषण कर वनकर्मियों को सबसे उपयुक्त और सुरक्षित मार्ग सुझाता है।
3. मानव-बाघ संघर्ष रोकथाम : एआइ कैमरे बाघों की लोकेशन पर नजर रखते हैं और मानव बस्तियों के पास उनकी मौजूदगी पर तत्काल चेतावनी भेजते हैं, जिससे न केवल मानव जीवन, बल्कि पशुधन और बाघ सभी सुरक्षित रहते हैं।
एआइ से बाघों की पहचान और संरक्षण दोनों अब पहले से कहीं अधिक सटीक, तेज और सुरक्षित हो गए हैं। जनवरी से इंद्रावती में गणना का कार्य शुरू होगा। - सुदीप बलगा, निदेशक, इंद्रावती टाइगर रिजर्व