जगदलपुर। कोरोना संक्रमण काल की चरम अवस्था में स्कूली विद्यार्थियों की शिक्षा दीक्षा बाधित न हो इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार की पढ़ई तुंहर दुवार कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आपदा में अवसर के फार्मूले को यहां बस्तर में ग्राम पंचायत भाटपाल ने सबसे पहले ढूंढ
लिया था।
जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर बस्तर ब्लाक के आदिवासी आबादी बहुल इस पंचायत ने जून 2020 में ही लाउड स्पीकर के माध्यम से बच्चों को अध्ययन का अवसर दे दिया था। करीब नौ माह पहले लाकडाउन के दौरान इस छोटे से गांव में आमचो बस्तर रेडियो के नाम से शुरू हुई यह पहल देखते ही देखते चर्चा का विषय बन गई थी। स्कूल शिक्षा मंत्री डा प्रेमसाय सिंह, सांसद दीपक बैज, विधायक, जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने भाटपाल पहुंचकर पंचायत के साथ मिलकर शुरू किए गए इस नवाचार को देखा और प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। देखते ही देखते इस व्यवस्था को बस्तर संभाग के 300 से अधिक ग्राम पंचायतों ने अंगीकार कर लिया। प्रदेश ही नहीं देश के कुछ दूसरे राज्यों ने भी कोरोना आपदा में आमचो बस्तर रेडियो को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व ग्रामीणों से संवाद का जरिया बनाते बेहतर अवसर के रूप में स्थापित करने में देर नहीं की।
लाउड स्पीकर बजते ही बच्चे जमा हो जाते हैं: आमचो बस्तर रेडियो के अंतर्गत संबंधित ग्राम पंचायतों के सभी आबादी वाले क्षेत्र में जगह-जगह खंबों में लाउड स्पीकर बांधे गए हैं। सुबह और शाम को एक नियत समय पर घंटे दो घंटे के लिए अध्ययन-अध्यापन से जुड़े विषयों का प्रसारण किया जाता है। बाकी समय में खेती-किसानी से जुड़ी व शासन की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। आज जब मोहल्ला क्लास शुरू हो चुके हैं तो भी बच्चे गांव में उन स्थानों पर जमा हो जाते हैं जहां लाउडस्पीकर लगाए गए हैं। भाटपाल एक्टागुड़ा संकुल में आता है। यहां के संकुल समन्वयक शैलेन्द्र तिवारी का कहना है कि लाकडाउन के समय कलेक्टर रजत बंसल के सुझाव पर आमचो बस्तर रेडियो की शुरूआत की गई थी। बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, ग्रामीणों से संवाद कैसे हो पाएगा, इसे लेकर काफी चिंता थी। आमचो बस्तर रेडियो एक अवसर बना था। आज भी इसका क्रेज है। सरंपच रयो नारायण कश्यप का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई ही नहीं ग्रामीणों की बैठक में संदेश देने का भी इससे बेहतर जरिया नहीं मिल सकता था।