
नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर। ओडिशा स्टेट कमेटी के प्रभारी और 1.20 करोड़ के इनामी केंद्रीय समिति सदस्य 69 वर्षीय गणेश उइके समेत चार माओवादी गुरुवार को मुठभेड़ में मारे गए। यह मुठभेड़ ओडिशा के कंधमाल जिले के चाकपाड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत गंजम से सटे राम्पा के जंगलों में हुई। गणेश वह साउथ सब जोनल कमेटी का इंचार्ज था और सात राज्यों में वांछित था। मारे गए माओवादियों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। एक दिन पहले भी दो माओवादी मारे गए थे। उनकी पहचान बारी उर्फ राकेश और अमृत के रूप में हुई है। छत्तीसगढ़ के निवासी इन माओवादियों पर कुल 23.65 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
ओडिशा पुलिस के डीआईजी (आपरेशंस) अखिलेश्वर सिंह के अनुसार, इलाके में शीर्ष माओवादी नेताओं की मौजूदगी की सूचना के बाद संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। इस ऑपरेशन में ओडिशा की स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) की 20 टीमों के साथ सीआरपीएफ की दो और बीएसएफ की एक टीम को शामिल किया गया। गुरुवार सुबह जंगलों में तलाशी के दौरान गणेश उइके के दस्ते ने सुरक्षा बल पर फायरिंग शुरू कर दी। इसके जवाब में हुई मुठभेड़ में चार माओवादी ढेर हो गए। घटनास्थल से दो इंसास राइफल और एक 303 राइफल बरामद की गई है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि गणेश की मौत ओडिशा कमेटी के लिए बड़ा झटका है। इससे ओडिशा और आसपास के क्षेत्रों में माओवादियों की कमान, नियंत्रण और समन्वय क्षमता गंभीर रूप से कमजोर होगी।
गणेश उइके तेलंगाना के नलगोंडा जिले के चंदूर मंडल स्थित पुल्लेमला गांव का रहने वाला था। वह उर्फ पाका हनुमंथलू, राजेश तिवारी, चम्रू, पक्का हनुमंतु, गणेशन्ना और सोमारू जैसे कई उपनामों से जाना जाता था। गणेश एक गोंड आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखता था। प्रारंभिक दौर में रेडिकल यूनियन के संपर्क में आने के बाद वह माओवादी संगठन से जुड़ा और धीरे-धीरे संगठन के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गया। लंबे समय से वह ओडिशा और सीमावर्ती इलाकों में माओवादी गतिविधियों का संचालन कर रहा था।
गणेश उइके वर्ष 1988 से दंडकारण्य क्षेत्र में सक्रिय रहा। उसने जगदलपुर में सिटी आर्गनाइजर (1988–1998), वेस्ट बस्तर डिवीजनल कमेटी के सचिव (1998–2006) और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिलों में कुल 16 आपराधिक मामले दर्ज थे। पुलिस के अनुसार गणेश उइके कई गंभीर घटनाओं में संलिप्त रहा, जिनमें वर्ष 2014 में सुकमा जिले के तोंगपाल क्षेत्र के तहत तहकवाड़ा में पुलिस दल पर किया गया सशस्त्र हमला प्रमुख है, जिसमें 15 जवान शहीद हुए थे। उसके आपराधिक कृत्यों में नागरिकों की हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, पुलिस पर हमले तथा हथियारों और विस्फोटकों का अवैध उपयोग शामिल है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक माओवादी हिंसा के समूल उन्मूलन के लक्ष्य की दिशा में गणेश का मारा जाना एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। लगातार आत्मसमर्पण और पुनर्वास की अपील के बावजूद कई शीर्ष माओवादी हथियार छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते सुरक्षा बल निर्णायक कार्रवाई कर रहे हैं। इस वर्ष अब तक माओवादी प्रमुख बसव राजू समेत केंद्रीय समिति स्तर के 12 शीर्ष माओवादी मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। वहीं भूपति, चंद्रन्ना और रुपेश जैसे वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का रास्ता अपनाया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस साल अब तक 500 से अधिक माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए हैं, जिससे संगठन के भीतर नेतृत्व का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।