नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में माओवाद से सबसे ज्यादा प्रभावति इलाके अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर अब लाल आतंक से मुक्त हो गए है। 153 हथियारों के साथ 210माओवादी आज हथियार डालने जगलदपुर पहुंचे हैं। इनमें 110 महिला और 98 पुरुष माओवादी भी हैं। इन्हें बस से जगदलपुर पुलिस लाइन पहुंचाया गया। इनमें कुछ बड़े कैडर के माओवादी भी शामिल हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अपने 'एक्स' अकाउंट पर पोस्ट करते हुए घोषणा की कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर अब माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब केवल दक्षिण बस्तर के सीमित हिस्से में माओवाद का नाममात्र प्रभाव शेष है, जिसे सुरक्षा बल बहुत जल्द समाप्त कर देंगे। दरअसल, जिन जंगलों को चार दशकों तक माओवादी संगठन का अभेद्य गढ़ माना जाता था, वह अब सुरक्षा बलों की पकड़ में है।
भाकपा (माओवादी) के वैचारिक संगठन केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (सीआरबी) के सचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति उर्फ सोनू के आत्मसमर्पण के बाद संगठन का पूरा तंत्र बिखरने लगा है। भूपति के समर्पण के बाद सिर्फ दो दिनों में 278 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण की राह पर हैं। इनमें माड़ डिविजन, गढ़चिरौली डिविजन, इंद्रावती नेशनल पार्क एरिया कमेटी और रावघाट एरिया कमेटी के सभी सक्रिय माओवादी शामिल हैं।
यह वही बस्तर है, जहां माओवादी 'जनताना सरकार' का नारा लेकर राज करते रहे। आज उसी क्षेत्र में डबल इंजन सरकार ने माओवाद के ढांचे को जड़ से हिला दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने पहले ही यह संकल्प दोहराया था कि मार्च 2026 तक देश को माओवाद से मुक्त किया जाएगा। अबूझमाड़ की यह सफलता उसी दिशा में सबसे बड़ा कदम मानी जा रही है।
#WATCH | Jagdalpur, Chhattisgarh | Over 200 Naxalites surrender before security forces, expressing confidence in the Constitution of India, they are joining the mainstream of society today pic.twitter.com/FT3W3OnExM
— ANI (@ANI) October 17, 2025
माओवादी नेता रुपेश ने गुरुवार को इंद्रावती नदी पार करने के बाद वीडियो जारी कर देश भर के माओवादियों से समर्पण कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। रुपेश ने कहा है कि अब सशस्त्र संघर्ष का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और वे लोकतांत्रिक तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
बस्तर में अब माओवाद की सक्रियता केवल दक्षिणी क्षेत्र तक सिमट गई है, जहां भी सुरक्षा बलों ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। कर्रेगुट्टा पहाड़ियों तक सुरक्षा बलों की पहुंच हो चुकी है और माओवादी कॉरिडोर लगभग ध्वस्त कर दिया गया है। इस क्षेत्र में केवल दो शीर्ष माओवादी नेताओं मिलिट्री कमिशन प्रमुख व पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी, तथा केंद्रीय समिति सदस्य हिड़मा की आंशिक सक्रियता है।
#WATCH | Chhattisgarh | 208 Naxalites surrender and lay down their weapons before security forces in Bastar's Jagdalpur to join the mainstream, as they express confidence in the Constitution of India pic.twitter.com/mDkpFOvLSP
— ANI (@ANI) October 17, 2025
पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई और निरंतर अभियानों ने अबूझमाड़ के माओवादी नेटवर्क को तहस-नहस कर दिया। अबूझमाड़ के जंगलों की गहराइयों में हुई बड़ी मुठभेड़ों में पोलित ब्यूरो सदस्य और माओवादी प्रमुख बसव राजू, डीकेएसजेडसी सचिव के. रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुड्सा उसेंडी, सचिवालय प्रभारी के. सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा, और क्षेत्रीय राजनीतिक स्कूल प्रभारी थेटू लक्ष्मी उर्फ सुधाकर जैसे शीर्ष माओवादी मारे गए।
अबूझमाड़् के इन अभियानों में अब तक 89 माओवादी मारे गए, जबकि दक्षिण बस्तर सब-जोनल प्रमुख और केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता, तथा सुधाकर की पत्नी ककराला सुनीता सहित 200 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अब, जब अबूझमाड़ की घाटियों में बंदूक की गूंज थम चुकी है, वहां के जंगलों में शासन, विकास और विश्वास की नई सुबह होने जा रही है।