नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बस्तर दशहरा में मुरिया दरबार के मंच से मार्च 2026 तक माओवाद के समूल खात्मे की चेतावनी और आत्मसमर्पण की अपील के बाद बड़ा बदलाव देखने को मिला है। बस्तर में सक्रिय माओवादी संगठन की माड़ डिविजनल कमेटी ने अब सशस्त्र संघर्ष छोड़ने की घोषणा की है।
डिविजनल सचिव सणीता के हस्ताक्षर से जारी बयान में कहा गया है कि यह निर्णय पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू के नेतृत्व में लिया गया, और माड़ डिविजन इसका पूर्ण समर्थन करता है। इससे पहले उत्तर बस्तर और गढ़चिरौली डिविजन भी इसी दिशा में बयान जारी कर चुके हैं।
पत्र के अनुसार, डिविजन के कई विभागों ने भी इस निर्णय का समर्थन किया है। कमेटी ने स्वीकार किया कि बदलते समय और परिस्थितियों के अनुरूप आंदोलन में बदलाव न कर पाने से पार्टी कमजोर हुई है। अब संगठन जनता के बीच रचनात्मक कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है।
माड़ डिविजन ने जनता से इस निर्णय का समर्थन करने और सरकार से अभियान अस्थायी रूप से रोकने की अपील की है, ताकि संगठन अपने साथियों तक यह संदेश शांतिपूर्वक पहुंचा सके।
गृहमंत्री अमित शाह द्वारा मार्च 2026 तक माओवाद के समूल खात्मे का लक्ष्य तय किए जाने के बाद देशभर में अभियान तेज हुआ है। अब तक बसवराजू, चलपति, सुधाकर, गुड्सा उसेंडी और कोसा समेत नौ शीर्ष माओवादी सहित 550 से अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर सब जोनल कमेटी प्रमुख सुजाता ने आत्मसमर्पण किया है। सबसे बड़ा नुकसान छत्तीसगढ़ में हुआ है। इसी के बाद पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू उर्फ भूपति के पत्र जारी कर आत्मसमर्पण के आह्वान से संगठन में स्पष्ट दो फाड़ दिखाई देने लगी है।
-माओवादी संगठन अब अंदरूनी रूप से दो फाड़ में बंट चुका है। उत्तर बस्तर, माड़ और गढ़चिरौली डिवीजन की ओर से आत्मसमर्पण के संकेत हैं, जबकि तेलंगाना स्टेट कमेटी संघर्ष जारी रखने पर अड़ी है। सोनू और देवजी गुटों के बीच यह विभाजन अब स्पष्ट रूप से सामने आ गया है। सरकार लगातार आत्मसमर्पण और मुख्यधारा में लौटने के अवसर दे रही है, लेकिन माओवादी अगर अब भी हथियार नहीं छोड़ते, तो अभियान की तीव्रता के बीच उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
-सुंदरराज पी., आईजीपी