जगदलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बस्तर परिवहन सुविधा के क्षेत्र में लंबे समय से पिछड़ा हुआ है। बस्तरवासियों के गंभीरतापूर्ण आंदोलन के चलते ही कुछ रेल सुविधाएं विशाखापट्टनम रेल मंडल से प्राप्त हुई है, वही रावघाट रेल परियोजना भी धरातल पर उतरी पर बस्तर के ही चंद अधिकारियों व्यवसायियों की मिलीभगत के चलते ही जगदलपुर - रावघाट रेल लाइन परियोजना विवाद में चली गई है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
रायपुर प्रदेश की राजधानी है और बस्तर के लोग वहां सुगमता से पहुंच सके, इसलिए दुर्ग - जगदलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस प्रारंभ हुई थी परंतु समय सारणी ठीक नहीं होने और लगातार घाटा के चलते इसे चार साल पहले ही बंद कर दिया गया है। इधर बस संचालकों की मनमानी और लूट खसोट का कोई हल नहीं निकल पाया है।
बस वालों की मनमानी
हर बस्तरवासी जानता है कि बसों में यात्रा करना कितना महंगा और कष्टप्रद हो गया है। सामान्य बसों में जगदलपुर से रायपुर का किराया 550 रूपये से लेकर से 700 रूपये तक कर दिया गया है, वही एक स्लीपर में दो लोगों को जगह देकर दोगुना किराया वसूला जाता है और इस कार्य में परिवहन विभाग की संलिप्तता भी स्पष्ट है। बस संचालक विकलांग, सीनियर सिटीजन और महिलाओं को कोई रियायत नहीं देते। ये सभी रायपुर से बस्तर के बीच विभिन्ना स्टापेज बस संचालन से आमदनी तो अर्जित कर रहे हैं पर अब तक इस मार्ग में किसी भी स्थान पर प्रसाधन तो दूर एक प्याऊ भी नहीं बनवाए हैं। यात्रियों से दुर्व्यवहार तो आम बात है।
क्यों जरूरी है इंटरसिटी
रेल यात्रा को सुलभ और सुरक्षित माना जाता है। बर्थ आरक्षित करवाने पर प्रत्येक यात्री को एक स्लीपर उपलब्ध कराया जाता है। वही नाबालिगों, विकलांगजनो, सीनियर सिटीजनो को रियायत दी जाती है। रेल में शयन के साथ-साथ लैट्रिन - बाथरूम की भी व्यवस्था होती है इसलिए यात्री निश्चिंत होकर इससे यात्रा करते हैं। जगदलपुर - दुर्ग इंटरसिटी एक्सप्रेस में यात्रा करने पर दुर्ग तक का किराया लगभग 400 रूपये है। रियायत के वांछित यात्रियों को यह यात्रा और सस्ता पड़ता है, जबकि बस वाले जगदलपुर से 550 रूपये से लेकर 700 रूपये तक तो बीजापुर से रायपुर का किराया एक हजार रुपया तक वसूलते हैं।
समय परिवर्तन से होगा फायदा
बताते चलें कि बस्तर के सुकमा, किरंदुल, बीजापुर और जगदलपुर से प्रतिदिन शाम 5ः00 बजे से लेकर रात 1ः00 बजे मध्य 50 से अधिक बसें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर के लिए प्रस्थान करती है। एक बस में अधिकतम 35 यात्री का अनुपात लगाएं तो प्रतिदिन 50 बसों से लगभग एक हजार सात सौ पचास यात्री रायपुर की तरफ जाते हैं, यदि इंटरसिटी एक्सप्रेस को दोपहर 1ः00 बजे के बदले शाम पांच - छः बजे जगदलपुर से रवाना किया जाए तो यह ट्रेन सुबह 9ः00 बजे रायपुर पहुंच जाएगी और कोई भी व्यक्ति एक घंटे में फ्रेश होकर सरकारी दफ्तर या व्यवसायिक प्रतिष्ठान पहुंच सकता है। ऐसा होने पर इंटरसिटी से दुर्ग रायपुर जाने वालों की संख्या में जबरदस्त इजाफा होगा। पहली बात तो यह कि अब पहले की तरह यात्री बसें रायपुर स्टेशन नहीं जाती और रायपुर में ऑटो रिक्शा वाले मनमाना किराया वसूलते हैं। दूसरा उदाहरण यह कि जब से जगदलपुर- विशाखापट्टन के मध्य नाईट एक्सप्रेस शुरू हुई है। यह ट्रेन कभी घाटे में नहीं चली। वही पैसेंजर से कष्टप्रद यात्रा करने वालों की संख्या कम गई है। इसी तरह का सुखद परिणाम जगदलपुर - दुर्ग इंटरसिटी एक्सप्रेस के समय सारणी में परिवर्तन कर नियमित संचलन से प्राप्त हो सकता है, इसलिए बिलासपुर रेल मंडल पर वांछित दबाव बनाने बेहतर आंदोलन की दरकार है। शहर में आम चर्चा है कि रावघाट रेल लाइन को बनने में कम से कम 5 साल तो लगेगा, लेकिन दुर्ग- जगदलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस के रूप में जो रेल सुविधा बस्तरवासियों से छिन ली गई है, उसके लिए सर्वदलीय मंच, नागरिकों और व्यापारियों की संस्थानों को एकजुट होना चाहिए।