जगदलपुर। पशुओं में कुत्ता सबसे वफादार और स्वामीभक्त माना गया है। कुत्ते की स्वामीभक्ति को लेकर प्राचीनकाल से लेकर आज तक कई किस्से सुनने और देखने कोे मिल जाते हैं। सोमवार को यहां शहर में एक पालतू कुत्ते की स्वामीभक्ति का दृश्य काफी चर्चा में रहा। घटना के साक्षी रहे लोगों की इस बेजुबान पशु की स्वामी से विरह की वेदना आंखें नम कर गईं। घटना शहर के आंबेडकर वार्ड की है। वार्ड निवासी ओमप्रकाश अवस्थी का 72 साल की आयु में रविवार रात को निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को इंद्रावती नदी तट स्थित मुक्तिधाम में किया गया।
दरअसल, अवस्थी परिवार ने एक कुत्ता पाल रखा है। ओमप्रकाश अवस्थी दस साल पहले इस कुत्ते को लेकर आए थे। इसका नाम उन्होंने प्यार से कालू रखा था। ओमप्रकाश अवस्थी के निधन के बाद कालू रातभर शव के पास ही बैठा रहा। दूसरे दिन सोमवार को उसने कुछ खाया-पिया नहीं। दोपहर एक बजे स्वर्गीय ओमप्रकाश अवस्थी की अंतिम यात्रा निकली तो कालू चिल्लाकर रोने लगा। कूदकर शव वाहन में जाकर अर्थी के समीप बैठ गया। उसकी आंखों से निरंतर आंसू बह रहे थे। कालू को शव वाहन से उतारने की कोशिश की गई लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। आखिरकार स्वजन की सहमति से अंतिम यात्रा में शामिल लोगों ने कालू को शव वाहन में ही बैठे रहने दिया। कालू अंतिम यात्रा में शामिल होकर तीन किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी तट स्थित मुक्तिधाम तक गया और वहां भी जब तक स्वामी का अंतिम संस्कार पूरा होते तक पास में मुंह लटकाए बैठा रहा। अंतिम संस्कार के बाद कालू को साथ लाने की कोशिश की असफल रही। देर शाम समाचार लिखे जाने तक कालू मुक्तिधाम से नहीं लौटा था जबकि अंतिम यात्रा में शामिल सभी लोग लौट चुके थे।
बच्चे की तरह पाला था
अवस्थी परिवार के निवास के समीप रहने वाले विजय यादव बताते हैं कि ओमप्रकाश अवस्थी ने कालू को दस साल तक बच्चे की तरह पाला। वे मुहल्ले में जहां भी आते-जाते स्वामीभक्त कालू छाया की तरह साथ रहता था। स्वामी के प्रति उसकी भक्ति का दृश्य अंतिम क्षणों तक दिखाई दिया। विजय यादव ने कहा कि बेेजुबान पशु के हाव-भाव और वेदना कुछ न बोलकर भी बहुत कुछ कह गई।
बस्तर में भी है कुत्ते की समाधि
स्वामीभक्त कुत्ते की समाधियां देश के विभिन्न जगहों में होने की बात सामने आती रहती हैं। यहां बस्तर संभाग के कोंडागांंव में सरकारी विश्राम गृह में एक अंग्रेज अफसर ने वफादार कुत्ते और घोड़ा की समाधि बनवाई थी जो आज भी यहां मौजूद है। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के खपरी गांव में कुकुरदेव का मंदिर है।