अनिमेष पाल, नईदुनिया, जगदलपुर। जैसी करनी, वैसी भरनी। यह पंक्ति सार्थक सिद्ध हुई इंजीनियर से देश के सबसे बड़े माओवादी बने बसव राजू उर्फ अंबाला केशव राव उर्फ गगन्ना के लिए। बसव राजू ने चार दशक में बस्तर के सैकड़ों आदिवासियों के हाथ बंदूक थमा कर गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण देकर खूंखार लड़ाके तैयार किए थे।
माओवादी हिंसा से मोहभंग होने के बाद वे आत्मसमर्पित माओवादी, डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में भर्ती होकर माओवादियों के विरुद्ध ही मैदान में उतर आए। अब अबूझमाड़ और इंद्रावती टाइगर रिजर्व (आइटीआर) के जंगल में बुधवार को जब माओवादियों के साथ मुठभेड़ हुई तो, उन्हीं डीआरजी जवानों ने बसव राजू के सीखाए गुरिल्ला युद्ध तकनीक का उपयोग करते हुए बसव राजू समेत 27 माओवादियों को ढेर कर दिया।
प्रदेश में डबल इंजन सरकार के आने के बाद पिछले 15 माह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक माओवाद के सफाये के संकल्प और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में माओवादियों पर कड़ा प्रहार किया गया है। अब तक 200 से अधिक मुठभेड़ में 440 माओवादियों को मार गिराया जा चुका है।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि सफलता में सबसे बड़ा हाथ डीआरजी जवानों का है। आत्मसमर्पित माओवादी से डीआरजी बने जवान जंगल के भीतर की परिस्थितियों को अच्छे से जानते हैं। यहीं कारण है कि जंगल के भीतर अभियान का वे नेतृत्व कर रहे हैं। इस समय तीन हजार से अधिक डीआरजी जवान बस्तर में माओवादियों के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए हैं।
आज माओवादी संगठन जिस इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) का उपयोग कर विस्फोट और लड़ने की गुरिल्ला युद्ध (छिपकर वार करना) तकनीक का उपयोग करते हैं, उसका जनक बसव राजू को माना जाता है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान वारंगल से बीटेक की पढ़ाई करने के बाद माओवादी संगठन का निर्माण करने वाला बसवराजू ने अपनी इंजीनियिरंग का प्रयोग माओवादी संगठन के लिए हथियार बनाने के और सशस्त्र माओवादियों को तैयार करने के लिए किया।
उसने 1987 में मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी, मल्लुजोला वेणुगोपाल और मल्ला राजी रेड्डी के साथ बस्तर के जंगलों में लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम (लिट्टे) के पूर्व लड़ाकों के एक समूह से घात लगाकर हमला करने की रणनीति और जिलेटिन को संभालने का प्रशिक्षण लिया था।
2004 में, जब भाकपा(माओवादी) का गठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर आफ इंडिया (एमसीसीआइ) के विलय से हुआ, उसे पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग का प्रमुख और पोलित ब्यूरो सदस्य बनाया गया।
इसके बाद उसने लिट्टे से सीखी तकनीकों को तेजी से लागू करते हुए माओवादी आंदोलन को एक हिंसक आंदोलन में बदल दिया। बस्तर के अबूझमाड़, गंगालूर व छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर उसने हथियार बनाने के कई कारखाने बना डाले। इन कारखानों में टिफिन, कुकर, बीयर बोतलों से आईईईडी, बंदूकें, बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) जैसे हथियार बनाना प्रारंभ किया।
मुठभेड़ में मारा गया माओवादी बसव राजू को माओवादियों का सबसे खूंखार चेहरा व माओवादियों का थिंक टैंक माना जाता है। 10 नवंबर 2018 को गणपति के इस्तीफा देने के बाद उसे सीपीआइ (माओवादी) के महासचिव के रूप में पदभार संभाला था। वह अपने साथ एके-47 हथियार लेकर चलता था। उसका जन्म आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेट गांव में 1955 में हुआ था।
बताया जाता है कि वामपंथी छात्र राजनीति में वह सक्रिय था और आगे चलकर वह सीपीआई-एमएल (पीपुल्स वार) से जुड़ गया था। वह 1970 के दशक से ही वह माओवादी आंदोलन से जुड़ा हुआ था। 1980 में आंध्रप्रदेश में सीपीआइ (एमएल) पीपुल्स वार का गठन हुआ, तो वह प्रमुख आयोजकों में से एक था। 1992 में वह तत्कालीन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार की केंद्रीय समिति का सदस्य चुना गया।
2004 में, जब भाकपा(माओवादी) का गठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआइ) के विलय से हुआ, उसे पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग का प्रमुख और पोलित ब्यूरो सदस्य बनाया गया।
टेकुलगुड़ेम - 3 अप्रैल 2021
बीजापुर जिले के टेकुलगुड़ेम में माओवादियों ने घात लगाकर सुरक्षा बल की संयुक्त पार्टी को निशाना बनाया था। इस हमले में सुरक्षा बल के 21 जवान बलिदानी हो गए थे। एक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का जवान राकेश्वर मन्हास को नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था, जिसे बाद में छोड़ दिया गया था।
सुकमा जिले के चिंतागुफा क्षेत्र में डीआरजी और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) जवान सर्चिंग पर थे। कोरजागुड़ा पहाड़ी के पास छिपे माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया। इसमें 17 जवान बलिदानी हो गए थे।
दंतेवाड़ा में 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले माओवादियों ने ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था। इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षा कर्मी भी बलिदानी हाे गए थे।
सुकमा जिले के किस्टाराम क्षेत्र में 13 मार्च 2018 को माओवादियों ने आइईडी विस्फोट किया, जिसमें सीआरपीएफ के 9 जवान बलिदान व 25 जवान घायल हो गए थे।
सुकमा जिले के चिंतागुफा के पास माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया, जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवान बलिदानी हो गए थे। जब वे सड़क निर्माण में सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे।
बस्तर के झीरम घाटी में हुए माओवादी हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 32 लोग मारे गए थे।
नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 27 जवान बलिदानी हो गए थे।
एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर गादीरास के पास माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था, जिसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बलिदानी समेत 36 लोग मारे गए थे।
बस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के लिए निकले थे, जहां माआेवादियों के बारुदी सुरंग विस्फोट में 76 जवान बलिदानी हो गए थे।
राजनांदगांव के मानपुर थाना में माओवादी हमले में पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी बलिदानी हो गए थे।
एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और जिला पुलिस का बल माआवेादियों की तलाश कर वापस बेस कैंप लौट रहा था। दल पर माआेवादियों ने घात लगाकर हमला बोला, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए।
बीजापुर के रानीबोदली में पुलिस के एक कैंप पर आधी रात को माओवादियों ने हमला किया। भारी गोलीबारी के बाद कैंप को बाहर से आग लगा दी। इस हमले में पुलिस के 55 जवान मारे गए।
मारा गया माओवादी बसव राजू त्रिस्तरीय सुरक्षा में रहता था। डीआरजी जवानों ने इस सुरक्षा घेरे को भेदकर उसे मुठभेड़ में मार गिराया। बताया जा रहा है कि शीर्ष माओवादी नेता की उपस्थिति की सूचना पर दंतेवाड़ा, बीजापुर व नारायणपुर जिले से दो हजार से अधिक जवान अभियान पर गए हुए थे।
जवानों ने माओवादी ठिकाने के चारों ओर दस किमी के दायरे में घेरा बनाया और आगे बढ़ते हुए माओवादियों की टीम को घेर लिया। इससे माओवादियों को भागने का मौका नहीं मिला। पुलिस के अनुसार अभी भी सर्च अभियान जारी है।