नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: देशभर में सुरक्षा बलों की लगातार और सघन कार्रवाई ने चार दशक तक बंदूक के सहारे क्रांति का दावा करने वाले माओवादी संगठन की रीढ़ तोड़ दी है। बीते 18 महीनों में 500 से अधिक माओवादी मारे गए, जिनमें 13 केंद्रीय समिति स्तर के बड़े नेता भी शामिल हैं। केवल छत्तीसगढ़ में ही शीर्ष कमांडर बसव राजू, चलपति, सुधाकर और मोडेम बालकृष्ण मुठभेड़ों में ढेर हुए। लगभग दो हजार कैडर और समर्थकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसी दबाव के बीच अब संगठन ने पहली बार हथियार छोड़कर शांति वार्ता की पहल की है।
15 अगस्त 2025 को केंद्रीय समिति प्रवक्ता अभय के नाम से जारी पत्र में संगठन ने संघर्ष विराम की घोषणा करते हुए कहा कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होकर जनता की समस्याओं का समाधान चाहते हैं। विशेष यह कि यह पत्र संगठन की आधिकारिक फेसबुक अकाउंट, ईमेल और अभय की तस्वीर के साथ सार्वजनिक किया गया।
सुरक्षा विशेषज्ञ इसे दो पहलुओं से देख रहे हैं—एक ओर इसे शांति प्रक्रिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, तो दूसरी ओर इसे संदेहास्पद भी बता रहे हैं। अब तक माओवादी नेतृत्व ने कभी अपनी तस्वीर या पहचान उजागर नहीं की थी। पत्र में दिए गए ईमेल और फेसबुक अकाउंट सुरक्षा एजेंसियों को संगठन के नेटवर्क और हैंडलरों तक पहुंचाने का जरिया बन सकते हैं। यही कारण है कि गृह मंत्री विजय शर्मा ने पत्र की सत्यता की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
माओवादी संगठन ने पिछले दस महीनों में यह छठी बार सरकार से संवाद की अपील की है। हालांकि, पहले के प्रयास हिंसा और सुरक्षा बलों पर हमलों की वजह से नाकाम रहे। सरकार लगातार यह शर्त दोहराती रही है कि हथियारों के साथ किसी भी तरह की वार्ता संभव नहीं। इस बार माओवादियों ने स्पष्ट किया है कि शांति वार्ता पर सहमत कैडरों के अलावा जेलों में बंद सदस्यों और अन्य राज्यों में सक्रिय नेताओं से रायशुमारी जरूरी है। इसके लिए संगठन ने एक माह का संघर्ष विराम मांगा है, ताकि वार्ता ठोस और दीर्घकालिक रूप ले सके।
छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और झारखंड में चल रहे संयुक्त अभियानों ने माओवादियों को गहरी चोट पहुंचाई है। जनवरी 2025 से अब तक छत्तीसगढ़ में 463 माओवादी ढेर हो चुके हैं, जबकि केंद्रीय समिति स्तर के 13 से अधिक नेता भी मुठभेड़ों में मारे गए।
इसी दौरान केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता ने तीन दिन पहले तेलंगाना में आत्मसमर्पण कर दिया। इससे पहले एसजेडसीएम कमलेश, ककराला सुनीता और केवल बस्तर में सक्रिय 1500 से अधिक माओवादी हथियार डाल चुके हैं। मई 2024 में गढ़चिरौली में 28 शीर्ष माओवादी मारे गए थे।
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इस पत्र के सामने आने के बाद से कई प्रदेश के गृह मंत्री समेत कई अधिकारियों के बयान सामने आए हैं। इनकी प्रतिक्रियाएं इस प्रकार हैं-
वायरल पत्र की सत्यता की जांच जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह संगठन का आधिकारिक रुख है या किसी अन्य मकसद से प्रसारित किया गया है।
-विजय शर्मा, उप मुख्यमंत्री
पत्र के अनुसार माओवादी हथियार छोड़ रहे हैं। ये क्रांतिकारी घटना है। 2016 में नहीं लगता था कि माओवादी हिंसा खत्म होगी। यह केंद्रीय गृह मंत्री की इच्छा शक्ति का परिणाम है।
- डीएम अवस्थी, पूर्व डीजीपी
फिलहाल इस पर्चे की जांच कर रहे हैं। जब हम पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएंगे, तब कुछ प्रतिक्रिया देंगे।
- सुंदरराज पी, आइजी बस्तर