जगदलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। किरंदुल-कोत्तावालसा रेलमार्ग (केके) पर अरकू रेलखंड के बोर्रागुहालू और चिमड़ीपल्ली स्टेशनों के बीच मंगलवार को पहाड़ से चट्टानों (मलबा) के टूटकर गिरने की घटना में मालगाड़ी का इंजन पटरी से उतर गया। घटना शाम साढ़े तीन बजे की है। उस समय वहां से मालगाड़ी गुजर रही थी। अनंतगिरी घाट क्षेत्र में घुमावदार रेलमार्ग होने से मालगाड़ी का चालक रेलमार्ग पर चट्टानों को देख नहीं पाया और मालगाड़ी टकरा गई।
मालगाड़ी की गति धीमी होने से बड़ी दुर्घटना नहीं हुई केवल इंजन के एक ओर से चार पहिए ही पटरी से उतरे। ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। अरकू और कोत्तावालसा से दो रिलीफ ट्रेनें घटनास्थल में भेजी गई हैं। बुधवार सुबह तक मार्ग बहाल होने की संभावना जताई गई है। जगदलपुर से 230 किलोमीटर दूर आंध्रप्रदेश में हुई इस घटना के बाद किरंदुल-विशाखापत्तनम के बीच चलने वाली दोनों यात्री ट्रेनों को नाइट एक्सप्रेस और पैसेंजर स्पेशल ट्रेन को रद कर दिया गया।
बताया गया कि घटना के पहले किरंदुल से विशाखापत्तनम के लिए निकल चुकी नाइट एक्सप्रेस को परिवर्तित मार्ग कोरापुट से रायगढ़ा के रास्ते भेजा गया है। दूसरी ओर सोमवार रात में विशाखापत्तनम से किरंदुल के लिए जाने वाली नाइट एक्सप्रेस को रद कर दिया। बुधवार को नाइट एक्सप्रेस और पैसेंजर स्पेशल दोनों यात्री गाड़ियां रद रहेंगी।
मार्ग बंद होने से लौह अयस्क की ढुलाई पर भी असर पड़ा है। कुछ मालगाड़ियों को मार्ग खुलने तक कोरापुट-रायगढ़ा के रास्ते विशाखापत्तनम भेजा जाएगा। अरकू रेलखंड मुख्यालय के एक रेल अधिकारी से फोन पर चर्चा करने पर उन्होंने नईदुनिया को बताया कि क्षेत्र में पिछले दो दिनों से बारिश हो रही है। बारिश के दौरान पहाड़ों से रेलमार्ग पर मलबा गिरने की आशंका बनी रहती है। अरकू रेलखंड में अधिकांश क्षेत्र में सिंगल लाइन है। किरंदुल से विशाखापत्तनम जा रही पैसेंजर स्पेशल ट्रेन देर शाम समाचार लिखे जाने तक अरकू स्टेशन में खड़ी थी।
इसी साल 23 सितंबर की रात केके रेलमार्ग के कोरापुट रेलखंड में जरती-मानाबार स्टेशनों के बीच घाटी क्षेत्र में पहाड़ दरकने से रेलमार्ग मलबे में दब गई थी। 16 दिनों बाद मलबा हटाकर मार्ग बहाल किया था। विदित हो कि इस रेललाइन में ओड़िशा के जैपुर से आंधप्रदेश के कोत्तावालसा के बीच 225 किलोमीटर में रेललाइन अधिकांश क्षेत्र में अनंतगिरी घाटी से होकर गुजरती है। इस खंड में 48 सुरंग रेलपथ हैं। बारिश के दिनों में यहां पहाड़ों से मलबा गिरने की संभावना बनी रहती है। मार्ग के दोहरीकरण के लिए कई जगहों पर पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाया जा रहा है इससे भी खतरा बढ़ गया है। रेलवे द्वारा इस रेललाइन में पहाड़ों से मलबा गिरने की घटनाओं का अध्ययन कराया जा रहा है।