
अनिमेष पाल, नईदुनिया जगदलपुर। शीर्ष माओवादी हिंसक पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति और केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश के 271 माओवादियों के साथ समर्पण के बाद बस्तर में सक्रिय माओवादी संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) की रीढ़ टूट चुकी है, जिससे माओवादी नेतृत्व अब दबाव में है। अब केंद्रीय समिति सदस्य रामदेर और उसके करीब 50 सशस्त्र साथी हथियार डालने की इच्छा जता चुके हैं। इन्होंने सुरक्षा बल के शीर्ष अधिकारी से संपर्क साधा है।
बीजापुर जिले के नेशनल पार्क क्षेत्र के अंदरूनी गांव मज्जी मेण्ड्री निवासी 62 वर्षीय रामदेर को हिड़मा के बाद केंद्रीय समिति में शामिल किया गया था। वह बस्तर से दूसरा माओवादी है, जिसे संगठन में इतना बड़ा पद मिला है। उसके समर्पण के बाद संगठन की प्रमुख शक्ति दक्षिण बस्तर क्षेत्र में सिमट जाएगी, जहां पोलित ब्यूरो सदस्य व सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का प्रभारी देवजी, बटालियन नंबर-1 का प्रभारी माड़वी हिड़मा और बटालियन कमांडर बारसे देवा सक्रिय है।
बस्तर में अब केंद्रीय समिति सदस्य हिड़मा ही वह अंतिम कड़ी है, जिस पर स्थानीय माओवादी संरचना टिकी हुई है। सुरक्षा बल इस अंतिम स्तंभ को ढहाने की तैयारी में हैं। हाल ही में आत्मसमर्पित माओवादी रूपेश ने कहा है कि हिड़मा ने मुख्यधारा में लौटने के बजाय भूपति के साथ मिलकर संगठन को पुनर्गठित करने की राह चुनी है।