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Publish Date: Tue, 06 Sep 2016 12:05:43 AM (IST)
Updated Date: Tue, 06 Sep 2016 12:08:41 PM (IST)
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में महानदी बेसिन में निर्मित और निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओंं को लेकर विवाद खड़ा करने वाला पड़ोसी राज्य ओड़िशा इंद्रावती सब बेसिन का पानी महानदी बेसिन में डालकर हीराकुंड बांध में ले जा रहा है। ओड़िशा ने अपने क्षेत्र में नवरंगपुर और कालाहांडी जिलों में इंद्रावती और उसकी सहायक नदियों में चार बड़े बांध और आठ डाइक बना लिए हैं और अब इंद्रावती नदी की एक अन्य सहायक नदी तेलांगिरी में भी मध्यम सिंचाई परियोेजना का निर्माण अंतिम चरण में हैं।
इन सारे बांधों और डाइक का निर्माण 1975में अविभाजित मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के साथ इंद्रावती जल बंटवारा समझौता के बाद किया गया है। ओड़िशा ने इंद्रावती नदी में नवरंगपुर में अपर अपर इंद्रावती सिंचाई एवं जल विद्युत परियोजना के नाम पर खातीगुड़ा ग्राम में मुख्य बांध का निर्माण किया है।
इंद्रावती और उसकी सहायक नदियों कपूर, पोड़ागढ़ और छबीली नदी पर बांध का निर्माण कर उक्त जलाशयों को लिंक केलान के माध्यम से आपस में जोड़कर संयुक्त जलभराव क्षेत्र का निर्माण कर सुरंगो के जरिए पानी कालाहांडी जिले में मुखीगुड़ा जल विद्युत परियोजना में ले जाया जाता है। विद्युत उत्पादन के बाद वही पानी हाथी नदी के जरिए तेल नदी में डालकर अपने सीमा क्षेत्र में महानदी बेसिन में डालकर हीराकुंड बांध तक पहुंचाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन की ओर से मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह महानदी बेसिन को लेकर उठे विवाद पर दिल्ली में आगामी दिनों में ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ होनें वाली बैठक में यह मुद्दा उठा सकते हैं। छग शासन ने चोरी-छिपे इंद्रावती सब बेसिन का पानी महानदी बेसिन में ले जाने के मामले में रिपोर्ट तैयार कर ली है। छग के क्षेत्र में महानदी बेेसिन पर विवाद खड़ा करने की कोशिस में लगे ओड़िशा को इंद्रावती सब बेसिन के मुद्दे पर घेरने की पूरी तैयारी की जा चुकी है।
अत्याधुनिक तकनीकी से हो रहा पानी का हरण
इंद्रावती सब बेसिन का पानी महानदी बेसिन में डालने और जल विद्युत परियोजना के निर्माण में जापान का सहयोग और तकनीकी का उपयोग करने की खबर है।
ओड़िशा राज्य ने नवरंगपुर जिले में इंद्रावती सब बेसिन के जलग्रहण क्षेत्र से करीब 91 टीएमसी पानी के जलभराव क्षमता का खातीगुड़ा के नाम पर बांध का निर्माण किया है। इसके अतिरिक्त इंद्रावती की तीन सहायक नदियों कपूर नदी पर कपूर डेम, पोड़ागढ़ नदी पर पोड़ागढ़ डेम और छबीली नदी पर मूरान डेम का निर्माण 1979 से प्रांरभ कर 2005 में पूरा कर लिया है। उक्त जलाशयों को लिंक केनाल के माध्यम से आपस में जोड़कर संयुक्त जलभराव क्षेत्र का निर्माण किया गया है।
यहां इंद्रावती नदी और उसकी सहायक नदियों का कुल जलग्रहण क्षेत्र 2630 वर्ग किमी एवं संयुक्त जलभराव क्षमता 1485.50 मिलियन घटमीटर है। जलाशय के जलभराव का उपयोग इंद्रावती मुख्य जलाशय बांध खातीगुड़ा से लगभग 30 किलोमीटर अपस्ट्रीम में बेसिन के बांई ओर स्थित पहाड़ी पर सुरंग जिसकी लंबाई 4 किलोमीटर एवं व्यास 7 मीटर है के माध्यम से बिजली पैदा करने हेतू निर्मित जल विद्युत परियोजना जिसकी क्षमता 600 मेगावॉट डेढ़-डेढ़ सौ मेगावॉट की चार इकाइयों में किया जाता है।
उक्त सुरंग का बाहरी हिस्सा ग्राम मुखीगुड़ा जिला कालाहांडी में निकलता है। जिसका जलग्रहण क्षेत्र महानदी बेसिन में जाता है। जल विद्युत परियोजना में जल का उपयोग करने के बाद टेरलेस चैनल जिसकी लंबाई 9 किलोमीटर है के माध्यम से पानी हाथी नदी जो कि तेल नदी की सहायक नदी है में डाला जाता है। तेल नदी महानदी बेसिन में आता है।
इंद्रावती के पानी से महानदी बेसिन में हो रही सिंचाई
ओड़िशा इंद्रावती नदी का पानी हाथी नदी में डाल रहा है। हाथी नदी में 117 मीटर लंबाई का बैराज बनाया गया है। इस बैराज से करीब एक लाख 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है। इंद्रावती नदी और उसकी सहायक नदियों के सम्पूर्ण जल का उपयोग विद्युत परियोजना एवं सिंचाई हेतू महानदी बेसिन में जिला कालाहांडी के कमांड क्षेत्र में किया जा रहा है।
परियोजना से इंद्रावती नदी में समान्यत: जब जलाशय पूर्ण जल स्तर तक भर जाता है तभी नीचे की ओर पानी छोड़ा जाता है। यह उल्लेखनीय है कि अपर इंद्रावती परियोजना खातीगुड़ा बांध का पूर्ण जलस्तर आरएल 642 मीटर है एवं टेलरेस चैनल का लेबल 263 मीटर है।
छग ने सोलह साल पहले उठाया मामला फिर भूल गए
मध्यप्रदेश से अलग होनें के डेढ़ माह बाद ही छग की तत्कालीन सरकार ने भुवनेश्वर में दोनों राज्यों के बीच मंत्री स्तर की बैठक में इंद्रावती सब बेसिन का पानी महानदी बेसिन में डालने के लिए उस समय किए जा रहे निर्माण कार्यो पर आपत्ति उठाई थी।
छग शासन की ओर से तत्कालीन वित्त मंत्री व जल संसाधन मामलों के विशेषज्ञ डॉ रामचंद्र सिंहदेव और जल संसाधन मंत्री धनेश पाटिला ने 20 दिसंबर 2000 को भुवनेश्वर में ओड़िशा के जलसंसाधन मंत्री के समक्ष यह मामला प्रमुखता से उठाया था। हालांकि यह बैठक इंद्रावती-जोरा नाला जल विवाद के समाधान के लिए आयोजित थी पर रामचंद सिंहदेव जिन्हें इंद्रावती सब बेसिन का पानी महानदी सब बेसिन में ले जाने की तैयारी की खबर थी का कहना था कि ऐसा होनें से इंद्रावती नदी में बस्तर में जलसंकट और अधिक गहरा सकता है।
इस बैठक के बाद 2002-03 में इंद्रावती परियोजना मंडल कार्यालय जगदलपुर से एक सहायक यंत्री रूपांकन कैलाश मिश्रा को चोरी-छिपे ओड़िशा भेजकर स्थल निरीक्षण कराया गया और फिर उन्होंने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट तैयार की जिसे 2004 में राज्य शासन को भेजा गया था।
राज्य शासन ने उस रिपोर्ट के आधार पर ओड़िशा के समक्ष उसी समय आपत्ति जता दी होती तो शायद आज महानदी बेसिन पर होहल्ला मचाने ओड़िशा इतना आगे नहीं रहता। छग शासन की यही भूल आज इंद्रावती पर भारी पड़ रही है और महानदी बेसिन पर लड़ाई लड़ने की नौबत आ गई है।
जल संसाधन सचिव की मुख्य भूमिका
महानदी बेसिन में इंद्रावती सब बेसिन का पानी ले जाने और निर्र्माण के दौरान अविभाजित मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ से समय पर अभिमत नहीं लेने के मामले को जल संसाधन सचिव गणेशशंकर मिश्रा ने संज्ञान लिया है।
छग और ओड़िशा के मुख्यमंत्रियों की आगामी दिनों में दिल्ली में होने वाली बैठक में इस मामले को रखनें के लिए बस्तर और गरियाबंद क्षेत्र से विभागीय इंजीनियरों की दो टीमों ने पिछले दिनों ओड़िशा जाकर पूरे प्रोजेक्ट का अध्ययन कर रिपोर्ट बना ली है। इंद्रावती सब बेसिन से महानदी बेसिन में पानी छोड़ने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। एक दशक बाद इस पूरे मामले में सचिव गणेशशंकर मिश्रा ने बस्तर और छत्तीसगढ़ के हित को सामने रखकर नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करवाई है।
इंद्रावती का जलबांटने छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के बीच समझौते के बाद ओड़िशा ने इंद्रावती और उसकी सहायक नदियों में अपने क्षेत्र में कई बांध बना लिए हैं।
पूर्व जलसंसाधन मंत्री डॉ रामचंद्र सिंहदेव ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि निर्माण कार्य ओड़िशा ने हालांकि अपने क्षेत्र में किए हैं पर जल बंटवारा के समझौते के अनुसार ओड़िशा को निर्माण कार्यो की जानकारी मध्यप्रदेश शासन या फिर बाद में छत्तीसगढ़ शासन को देना चाहिए था। सिंहदेव के अनुसार मंत्री रहते उन्होंने ओड़िशा के समक्ष इस विषय को भुवनेश्वर जाकर उठाया था लेकिन इसके बाद छग में सरकार बदल गई और मौजूदा सरकार ने इंद्रावती सब बेेसिन का पानी महानदी बेसिन में ले जाने पर कोई विरोध दर्ज नहीं कराया।
उस एक चूक का नतीजा है कि ओड़िशा आज इंद्रावती नदी के मुद्दे पर मनमानी पर उतारू है और महानदी बेेसिन पर बेवजह विवाद पैदा कर रहा है। छग शासन को इस मामले को केन्द्र सरकार और ओड़िशा शासन के सामने जोरदार ढंग से उठाना चाहिए। लगातार एक के बाद एक बांधों के निर्माण का ही असर है कि इंद्रावती नदी से बस्तर को समझौते के अनुरूप कभी-कभी किसी साल 45 टीएमसी पानी भी नहीं मिल पा रहा है।
इनका कहना है
इंद्रावती सब बेसिन का पानी महानदी बेसिन के जरिए हीराकुंड बांध में ले जाने के संंबंध में रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रिपोर्ट शासन को जल्दी ही सौंप दी जाएगी। हमारे इंजीनियरों ने ओड़िशा जाकर स्थल अवलोकन कर लिया है।
एचआर कुटारे प्रमुख अभियंता जलसंसाधन विभाग छग शासन।