
अनिमेष पाल, नईदुनिया, जगदलपुर। इंद्रावती नेशनल पार्क में मंगलवार को हुई बड़ी मुठभेड़ के बाद सुरक्षा एजेंसियां अब माओवादियों के अर्बन नेटवर्क की तह तक जाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही हैं। इस मुठभेड़ में मद्देड़ एरिया कमेटी प्रभारी कन्ना ऊर्फ बुचन्ना और पामेड़ एरिया कमेटी सचिव उर्मिला सहित 27 लाख रुपये के इनामी छह माओवादी ढेर हुए थे। घटनास्थल से बरामद डिजिटल उपकरण और संगठनात्मक दस्तावेजों में शहरी इकाइयों से जुड़े कई अहम रिकार्ड होने की संभावना जताई जा रही है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मद्देड़ और पामेड़ एरिया कमेटियां महाराष्ट्र–तेलंगाना–छत्तीसगढ़ सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय थीं। इनका प्रमुख काम तीनों राज्यों के माओवादी समूहों के बीच समन्वय, सीमा पार आवाजाही में मदद और जंगल में चलने वाली लाजिस्टिक सप्लाई को बनाए रखना था।
इसी कारण बुचन्ना और उर्मिला की शहर आधारित सपोर्ट माड्यूल्स से सीधी कनेक्टिविटी मानी जा रही है। सूत्र बताते हैं कि बरामद डिवाइसों की फारेंसिक जांच जारी है। प्रारंभिक विश्लेषण में माओवादी नेतृत्व के संवाद, अर्बन सपोर्ट चैनल, फंडिंग नेटवर्क और प्रचार तंत्र से जुड़े डेटा की मौजूदगी के संकेत मिले हैं।
एजेंसियों का मानना है कि इन साक्ष्यों से शहरी नेटवर्क के प्रमुख नोड्स जैसे लाजिस्टिक सप्लायर, फंडिंग पार्टनर और संदेशवाहक तक पहुंच बनाना आसान होगा। जांच पूरी होने के बाद शहरी माड्यूल पर लक्षित कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक बुचन्ना और उर्मिला की मौत से पश्चिम एवं दक्षिण बस्तर डिवीजन के रणनीतिक, रसद और अर्बन नेटवर्क संरचना पर बड़ा आघात हुआ है।
मोदकपाल क्षेत्र के गुडडीपाल निवासी कन्ना ऊर्फ बुचन्ना (35) डिविजनल कमेटी सदस्य और मद्देड़ एरिया कमेटी का प्रभारी था। आठ लाख रुपये के इनामी इस कुख्यात माओवादी के खिलाफ 42 आपराधिक मामले और 18 स्थायी वारंट दर्ज थे। पिछले एक दशक में उसने पुलिस, आम लोगों और विकास कार्यों पर कई हमलों की योजना बनाई। 2008 में कोंगुपल्ली पुलिस पोस्ट और 2016 में नुकनपाल कैंप पर हमले का नेतृत्व उसने किया था।
मुखबिरी के संदेह में 20 से अधिक ग्रामीणों की हत्या, छह आईईडी विस्फोट, बस व वाहनों में आगजनी, दिसंबर 2024 की डकैती और कई मोबाइल टावर जलाने की घटनाएं उसी के निर्देश पर हुईं। 2025 में पील्लूर और टेकामेटा के दो शिक्षादूतों के अपहरण व हत्या में भी उसकी भूमिका साबित हुई। वह तेंदूपत्ता व्यापारियों और सड़क निर्माण ठेकेदारों से लेवी वसूली भी करता था। जंगल से लेकर अर्बन नेटवर्क तक उसकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती थी।
राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र में सक्रिय मद्देड़ व पामेड़ एरिया कमेटी तीनों राज्यों में सक्रिय थी और इनका अर्बन नेटवर्क से सीधा संपर्क था। मुठभेड़़ स्थल से महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल उपकरण मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है। माओवादियों को सहायता पहुंचाने वाले अर्बन नेटवर्क का शीघ्र ही खुलासा करेंगे। - सुंदरराज पी. आईजीपी बस्तर