
अनिमेष पाल/जगदलपुर। त्रेता युग में वनवास काल में प्रभु श्रीराम ने अपने श्रीचरण दण्डकारण्य की भूमि पर धरे थे, वहां अब पत्थरों की जुबानी श्रीराम की कहानी बताई जा रही है। श्रीराम वनगमन पथ में सम्मिलित नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के रामाराम की पहाड़ी पर जिला प्रशासन ने साढ़े छह हजार स्कवायर मीटर में राक गार्डन का निर्माण किया है। यहां एक गुफा भी बनाई गई है, जिसके दीवारों पत्थर और आर्टिफिशयल स्कल्पचर से मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन को उकेरा गया है। जन्म से लेकर लंका दहन और माता सीता को लेकर अयोध्या लौटने की कहानी इसमें दर्शायी गई है। गुफा में आकर्षक लाइटिंग की गई है, जिससे मनोरम दृश्य बन जाता है।
नक्सलगढ़ में पत्थरों की जुबानी "श्रीराम" की कहानी
रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका वर्चुअल उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री सुकमा आने वाले थे पर मौसम खराब होने से वे नहीं आ सके। दो करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से बनाए गए इस राक गार्डन में मंगल भवन और पार्किंग का भी निर्माण किया गया है। पत्थरों से सौर घड़ी बनाई गई है जो पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के अनुसार समय बताती है।
लोक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्रीराम माता सीता को लेने लंका कूच करने के पहले सुकमा जिले के रामाराम में कुछ वक्त बिताया था। यहां पहाड़ी पर जामवंत गुफा भी है। भूदेवी की पूजा करने के बाद वे इंजी ऋषि की वनस्थली इंजरम में भी रुके थे। पहाड़ी पर भूदेवी के चरण के निशान पत्थरों पर बने हुए हैं, जिसकी स्थानीय लोग पूजा करते हैं। यहां मूर्तियां और मंदिर के अवशेष भी विद्यमान है।
सुकमा कलेक्टर एस. हरीश ने बताया कि श्रीराम वनगमन पथ में रामाराम और इंजरम सम्मिलित है। पवित्र स्थल को धार्मिक आस्था के साथ ही पर्यटकों के लिए विकसित करने राक गार्डन बनाया गया है। यहां करीब 600 वर्ष से चिटमिटीन माता की पूजा की जाती है और वार्षिक मेला लगता है। ओड़िशा, तेलांगना और आसपास से सैकड़ों श्रद्धालु यहां आते हैं।