जगदलपुर। आदिम जाति कल्याण विभाग में सात साल पहले चतुर्थ श्रेणी के 849 पदों पर हुई सीधी भर्ती में फर्जीवाड़ा उजागर करना कर्मचारियों (स्वीपर) को भारी पड़ गया है। विभाग ने साल 2014 में स्वीपर के पद पर नियुक्त इन 125 कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है। इधर हाइकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला स्तर पर अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जांच रिपोर्ट के पुनरीक्षण के लिए गठित समिति ने स्वीपर के पद को चतुर्थ श्रेणी का पूर्णकालिक माने जाने पर संदेह जताते हुए कलेक्टर दर पर मजदूरी के मान से (वेतन) भुगतान करने की सिफारिश की है। इससे इन कर्मचारियों की विभागीय कार्यकलाप एवं जांच समिति की सिफारिश को लेकर नाराजगी बढ़ गई है।
कर्मचारियों ने कहा है कि भर्ती के बाद से उन्हें साल में पूरे 12 माह का वेतन मिलता आ रहा है। भर्ती फर्जीवाड़ा की जांच के लिए दबाव बनाने के लिए आमरण अनशन जैसा कदम उठाने तथा हाइकोर्ट की शरण लेने के बाद शिकायतकर्ता कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इस साल अभी तक पिछले दो माह का वेतन जानबूझकर रोक दिया गया है, जबकि कोरोना की पहली और दूसरी लहर दोनों समय में विभागीय आश्रम-छात्रावासों के बंद रहने के बाद भी कर्मचारी कोविड केयर सेंटर में ड्यूटी करते रहे हैं।
इन कर्मचारियों का कहना है कि यदि विभाग द्वारा जानबूझकर प्रताड़ित किया जा रहा है तो उनके समक्ष दोबारा न्यायालय की शरण में जाकर न्याय मांगने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा। न्यायालय में विभाग और जांच समिति द्वारा जांच के नाम पर दी गई झूठी जानकारियों का भी पर्दाफाश किया जाएगा। इधर शिकायतकर्ता कर्मचारी संघ बस्तर जिला स्कूल आश्रम छात्रावास चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कल्याण समिति ने बुधवार को कलेक्टर रजत बंसल को जिला स्तरीय जांच समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन पर आठ बिंदुओं पर लिखित आपत्ति दर्ज कराते हुए ज्ञापन सौंपा है। इसमें जांच समिति के प्रतिवेदन पर ही सवाल खड़े किए गए हैं। इन सब घटनाक्रम के बाद माना जा रहा है कि यह विवाद अभी थमने वाला नहीं है और आगामी दिनों में कर्मचारी कल्याण समिति और विभाग के बीच लड़ाई जारी रहेगी।
यह कहा है जांच समिति ने
जिला स्तरीय जांच समिति का कहना है कि पूर्णकालिक स्वीपर का पद शासन द्वारा स्वीकृत कलेक्टर दर का पद है। यह पद विभाग द्वारा पहली बार नवीन पद संरचना में वर्ष 2010 में स्वीकृत किया गया है। इसके पूर्व अंशकालीन स्वीपरों से कार्य लिया जा रहा था। 2014 के पूर्व स्वीपर के पद पर सीधी भर्ती होने का कोई उल्लेख विभाग में नहीं मिलता है। पूर्णकालीन स्वीपर का पद कलेक्टर दर का होने के कारण छग शासन आदिम जाति कल्याण विभाग रायपुर द्वारा 10 जुलाई 2009 को जारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भर्ती प्रक्रिया का पालन किया जाना था किंतु 2014 में ऐसा नहीं किया गया। इस पद पर भर्ती के लिए अन्य पदों की तरह सीधी भर्ती के प्रक्रिया का पालन करते हुए नियुक्ति आदेश जारी करना औचित्यपूर्ण प्रतीत नहीं होता। जांच समिति ने स्वीपरों से कलेक्टर दर पर अस्थाई रूप से कार्य लिया जाकर दैनिक श्रमिक की तरह मजदूरी भुगतान करने की सिफारिश की है।
कर्मचारी संघ की यह है आपत्ति
कर्मचारी कल्याण संघ के जिला अध्यक्ष प्रभुनाथ पानीग्राही ने नईदुनिया को बताया कि 2014 में सीधी भर्ती के तहत विभाग में पूर्णकालिक स्वीपर के 186 रिक्त पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। सात साल से उन्हें नियमानुसार सीधी भर्ती के तहत नियुक्त मानकर पूरे 12 माह का वेतन दिया जाता रहा है। जब से भर्ती में फर्जीवाड़ा की शिकायत को लेकर उनका कर्मचारी संघ शासन-प्रशासन और न्यायालय की शरण में गया है विभाग द्वारा प्रताड़ित करने की कार्रवाई तेज हो गई है। पूर्णकालिक स्वीपर के पद को कलेक्टर दर पर बताकर दैनिक मजदूर के रूप में वेतन देने की सिफारिश से यही प्रतीत होता है। प्रभुनाथ पानीग्राही ने कहा कि उनका संघ न्याय के लिए संघर्ष जारी रखेगा।
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तहसीलदार व लिपिक को कलेक्टर ने दिया कारण बताओ नोटिस
जगदलपुर। कलेक्टर बस्तर रजत बंसल ने गुरूवार को बकावंड तहसील कार्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए लिपिक के साथ ही रिकार्ड रुम को दुरुस्त नहीं पाए जाने पर शाखा लिपिक से स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं तहसीलदार से भी इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगते हुए एक सप्ताह के भीतर इसे दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर बंसल ने यहां न्यायालयों में दर्ज प्रकरणों का निरीक्षण करते हुए दो वर्ष से अधिक समय से लंबित समस्त प्रकरणों का निराकरण अगस्त माह तक अनिवार्य रुप से करने के निर्देश दिए। उन्होंने यहां पहुंचे ग्रामीणों से भी बातचीत की। कलेक्टर ने यहां संचालित लोक सेवा केन्द्र तथा निर्माणाधीन रिकार्ड रुम का अवलोकन किया। उन्होंने रिकार्ड रुम का निर्माण शीघ्र पूर्ण करने के संबंध में निर्देशित किया। उन्होंने तहसील कार्यालय में बैठक व्यवस्था, पेयजल एवं स्वच्छता के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देशित किया। इस अवसर पर अनुविभागीय दण्डाधिकारी गोकुल रावटे भी उपस्थित थे।