जगदलपुर। जगदलपुर-रावघाट रेललाइन का निर्माण कार्य शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन के पूर्व जनसमर्थन जुटाने कोंडगांव और कांकेर जिले का भ्रमण कर रहे मध्य बस्तर के विभिन्ना संघ-संगठनों, समाजों व समाजसेवियों की पहल रंग लाने लगी है। कोंडगांव के बाद अंतागढ़वासियों ने भी मध्य बस्तरवासियों की पहल का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा है कि वे लोग भी आंदोलन में बढ़ चढ़कर समर्थन करेंगे। शुक्रवार को बस्तर रेल विकास संघर्ष समिति का दल अंतागढ़ पहुंचा था।
वहां के संघ-संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में आंदोलन के उद्देश्यों को साझा किया गया। सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप, समाजसेवी संपत झा, बस्तर चेंबर आफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष किशोर पारख व बस्तर परिवहन संघ के पदाधिकारियों ने दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर के साथ ही बस्तर संभाग में प्रस्तावित अन्य रेललाइनों की भी चर्चा की। इनका कहना था कि मैदानी और आबादी क्षेत्र से दूर तथा कम से कम वनक्षेत्र से होकर रेललाइन का निर्माण बस्तर क्षेत्र में जरूरी है।
रेललाइनें क्यों जरूरी हैं इस पर संपत झा ने विस्तार से प्रकाश डाला। बैठक में शामिल अंतागढ़ के वरिष्ठ समाजसेवी अनिल चंदेल का कहना था कि वे लोग आज भी अविभाजित बस्तर जिला का ही खुद को मानते हैं। उत्तर से दक्षिण तक बस्तर एक है। उत्तर हो या मध्य या फिर दक्षिण बस्तर क्षेत्र के विकास विशेषकर रेललाइनों के विस्तार को लेकर हम साथ-साथ हैं।
बिना संघर्ष कुछ हासिल नहीं होता
कई अन्य वक्ताओं ने भी रेललाइन का निर्माण शीघ्र प्रारंभ करने की जरूरत बताते हुए कहा कि बिना संघर्ष बस्तर को कुछ हासिल नहीं होता। यह समय ऐसा है कि हम सबको एक साथ मिलकर हर समाज और वर्ग का विश्वास और समर्थन लेकर जन जागरण अभियान को आगे बढ़ाना होगा। अंतागढ़ की बैठक के एक दिन पहले गुरुवार को कोंडागांव में भी इसी विषय पर बैठक हुई थी।
संघर्ष का साथी बनने का दिया भरोसा
वहां के लोगों ने भी रेललाइन को लेकर जगदलपुर से शुरू हुई पहल का पुरजोर समर्थन करते हुए संघर्ष का साथी बनने का भरोसा दिया है। सोमवार को समिति नारायणपुर जाएगी और वहां के संघ-संगठनों व समाजों से चर्चा करेगी। अंतागढ़ से जगदलपुर वापसी के पूर्व समिति के सदस्य अंतागढ़ में राजहरा-रावघाट रेललाइन का निर्माण देखने भी गए थे।
होली के बाद होगी पदयात्रा
नारायणपुर के बाद अगले चरण में बस्तर, भानपुरी सहित रावघाट-जगदलपुर रेलमार्ग के रास्ते में आने वाले कस्बाई व अर्धकस्बाई क्षेत्र में बैठकों का दौर शुरू किया जाएगा। मार्च में होली के बाद अंतागढ़ से जगदलपुर तक पदयात्रा के प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है। एक पखवाड़े तक होने वाली इस पदयात्रा के जरिए बस्तर रेलवे प्रायवेट लिमिटेड, केंद्र व राज्य सरकार पर रेललाइन का निर्माण शुरू करने को लेकर दबाव बनाया जाएगा। इसके बाद भी कार्रवाई में देरी हुई तो आंदोलन को विस्तारित करने के विकल्प की योजना भी समिति साथ ही साथ तैयार करके चल रही है।