जगदलपुर। Chhattisgarh News: इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना के विरोध में दंतेवाड़ा जिले में बारसूर के निकट सातधार में डूबान प्रभावित गांवों के सैकड़ों लोग जुटने लगे हैं। भूमकाल आंदोलन की 111वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां सात से नौ फरवरी तक तीन दिन बोधघाट परियोजना पर चर्चा के लिए सभा होगी। पहले दिन रविवार को तीन से चार हजार ग्रामीणों के एकत्र होने की खबर थी।

डूबान प्रभावित ग्रामीणों के संगठन बोधघाट प्रभावित हितरक्षक समिति के आह्वान पर हो रही सभा में अगले दो दिन में 10 हजार लोगों के जुटने का दावा किया जा रहा है। परियोजना प्रभावित 42 ग्रामों से हर घर से कम से कम एक सदस्य को अनिवार्य रूप से सभा में पहुंचने आयोजकों की ओर से निर्देशित किया गया है। ज्ञात हो कि परियोजना का निर्माण स्थल भले ही दंतेवाड़ा जिले में आता है लेकिन 80 फीसद तक संभावित डूबान क्षेत्र बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा विकासखंड में हैं। यहां से ग्रामीण तीन दिनों के लिए राशन लेकर पैदल सातधार के लिए रवाना हुए हैं।

सातधार बारसूर नगर पंचायत से पांच किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी का क्षेत्र हैं। यहां जंगल के बीच इंद्रावती नदी तट पर सभा बुलाई गई है। ग्रामीणों के जुटने की खबर पर शासन-प्रशासन भी सतर्क है और जिला एवं पुलिस प्रशासन की एजेंसियां घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। बोधघाट प्रभावित हितरक्षक समिति के अध्यक्ष ग्राम पंचायत बेंगलूर के सरपंच सुकमन कश्यप हैं। उनसे फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन चर्चा नहीं हो पाई।

मिली जानकारी के अनुसार तीन दिन चलने वाली सभा में शामिल होने बस्तर, दंतेवाड़ा एवं बीजापुर जिले के कांग्रेस, भाजपा, सीपीआई के विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद, परियोजना क्षेत्र के पंचायत पदाधिकारियों, सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों आदि को भी आमंत्रण भेजा गया है। भाजपा के पूर्व विधायक लच्छू कश्यप से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि वह चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। परियोजना प्रभावित क्षेत्र उनके विधानसभा क्षेत्र में आता है। ग्रामीणों ने चर्चा के लिए बुलाया है, इसलिए वह सोमवार को सातधार जाएंगे।

इन गांवों से जुट रहे हैं ग्रामीण

परियोजना प्रभावित जिन गांवों से ग्रामीणों के सभा में पहुंचने की खबर है उनमें 42 गांव शामिल हैं। ये गांव सदर, इतलकुड़म, कोयम, बेंगलूर, नेयूरनार, उड़ेनार, एरपुंड, हर्राकोडेर, पिच्चीकोडेर, पुसपाल, मालेवाही, अमलीधार, कोड़ेनार, धर्माबेड़ा, चंदेला, पालम, ककनार, महिमा, रायगोदी, भेजा, बिंता, करेकोट, कोरली, कुथूर, राकेशमेटा, तुमड़ीवाल, पुंगारपाल, हांदावाड़ा, भारपाल, हितामेटा आदि प्रमुख हैं। सूत्रों के अनुसार नौ फरवरी को सभा समाप्त होगी और दस फरवरी को भूमकाल स्मृति दिवस पर बारसूर में ग्रामीणों द्वारा बड़ी रैली की जा सकती है।

23 हजार करोड़ की है परियोजना

बोधघाट परियोजना के लिए जनवरी 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने भूमिपूजन किया था। उस समय बोधघाट मूल रूप से जलविद्युत परियोजना थी। 1986 में वन एवं पर्यावरण संबंधी क्लीयरेंस के आभाव में परियोजना पर काम रोकना पड़ा था। वर्तमान प्रदेश सरकार ने 23 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सिंचाई सुविधा बढ़ाने को केंद्र में रखकर नए सिरे से परियोजना को शुरू करने का निर्णय लिया है।

प्रदेश सरकार का कहना है कि परियोजना प्रभावितों के पुनर्वास एवं विस्थापन के लिए देश की सबसे अच्छी पुनर्वास नीति तैयार करके लागू की जाएगी इसके बाद ही परियोजना में निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। परियोेजना से 28 गांवों के पूर्ण और 14 गांवों के आंशिक रूप से प्रभावित होने की संभावना जताई गई है।

Posted By: Ravindra Thengdi

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