जगदलपुर (हेमंत कश्यप)। चित्रकोट जलप्रपात के नीचे जिस बिन्ता घाटी में कुछ साल पहुंचना मुश्किल था, और वहां के लोग अपने जीवन को नारकीय ठहराते थे, किन्तु ग्रामीणों ब्राह्मणों की मेहनत ने घाटी की तस्वीर बदल दी है। आरण्यक ब्राम्हणों को यहां बसाया गया था।
आजीविका के लिए ब्राम्हणों ने पोथी छोड़ी और हल थाम कृषि को अपनाया। इसके चलते इन्होंने कालांतर में बिन्ता घाटी की तस्वीर ही बदल दी। अब यहां 3229 हेक्टेयर में धान की भरपूर फसल होती है। पिछले दिनों ही यहां के किसानों ने अपनी जरूरत के लायक अन्न रख कर धान खरीदी केन्द्र बिन्ता में 14 हजार 200 क्विंटल धान बेचा था।
कहां है बिन्ता घाटी
संभागीय मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर बिन्ता घाटी चारों तरफ से ऊंचे पहाड़ों से घिरा है। यहां की करेकोट, बिन्ता, भेजा और सतसपुर पंचायत अंर्तगत करीब 16 बस्तियां हैं। यहां की आबादी लगभग 10 हजार है। ग्रामीणों का मुख्य रोजगार कृषि है। घाटी में उतरने के लिए मारडूम- बारसूर मार्ग से 10 किमी लंबा कच्चा रास्ता है। पूरी घाटी लंबित बोधघाट जल विद्युत परियोजना के डूबान क्षेत्र में आती है।
राजा ने बसाया
बिन्ता निवासी तथा पेशे से शिक्षक गुणनिधि आचार्य ने बताया कि करीब 600 साल पहले तत्कालीन बस्तर राजा ने पापड़ाहांडी ओड़िशा के राजा द्वारा अपहृत 360 आरण्यक ब्राम्हणों को छुड़वा कर बस्तर में आश्रय दिया था। इन्हें जिन स्थानों में बसाया गया उनमें एक स्थान बिन्ता घाटी भी है।
घाटी के लगभग सभी गांवों में आरण्यक ब्राम्हण निवासरत है। शुरूवाती दौर में यहां दूसरी जाति के लोग नहीं थे। समयानुसार कृषि कार्य और पशु चराने के लिए घाटी ऊपर के गांवों को लाया गया। अब सभी सौहार्द्र पूर्वक रहते हैं।
कृषि को अपनाया
बताया गया कि कृषि ब्राम्हणों का काम नहीं रहा, लेकिन घाटी में बसने के बाद आजीविका के लिए इन्होने कृषि को अपनाया, वहीं अपने संपर्क में रहने वाले बस्तर के आदिवासियों को भी बाद में बेहतर खेती करना सिखलाया। अब लोहण्डीगुड़ा विकासखंड में बिन्ता घाटी बेहतर धान उत्पादक क्षेत्र बन चुका है।
धान की बंफर खेती
मारडूम लेम्पस के गितेश पाण्डे ने बताया कि बिन्ता घाटी में धान की बंफर पैदावार होने लगी है। घाटी के 16 गांवों में समिति के 348पंजीकृत किसान हैं, जो कुल तीन हजार 229 हेक्टेयर में धान की फसल लेते हैं। गत धान खरीदी सत्र में यहां के किसानों ने कुल 14 हजार 200 क्विंटल धान विक्रय किया था। भोजन आदि के लिए रखे गए धान का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
डूबान में आते हैं गांव
बिन्ता घाटी इन्द्रावती और कोर्राम नदी बहती है। इसी घाटी के आगे ही बारसूर के पास बोधघाट में जल विद्युत परियोजना लंबित है। बताया गया कि अगर परियोजना पर काम हुआ तो बिन्ता घाटी के सभी 16 गांव डूब जाएंगे, इसलिए घाटीवासी भी उपरोक्त परियोजना का विरोध करते आ रहे हैं।