जगदलपुर। दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेललाइन परियोजना बस्तरवासियों का एक ऐसा सपना है कि बस्तर की जनता और राजनीतिक दल जब इस सपने को साकार करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरते हैं तो यह भूल जाते है कि केंद्र और राज्य में किस दल सरकार है। रेललाइन की मांग के लिए अपने ही दल की सरकार के खिलाफ आंदोलन करने से भी नहीं हिचकते।
बस्तर में रेल आंदोलन के इतिहास में एक नहीं कई ऐसे उदाहरण विद्यमान हैं। आज से 26 साल पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के समय 23-24 फरवरी 1996 को रावघाट रेललाइन की मांग करने पर जो कुछ घटनाक्रम बस्तर जिला संघर्ष समिति व बस्तर चेंबर आफ कामर्स तथा अन्य संघ-संगठनों के लोगों के साथ हुआ सुनने में भले अविश्वसनीय लगता है लेकिन पूरी तरह से हकीकत है। तब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी।
बस्तर संघर्ष समिति में तब कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा जो जिला पंचायत अध्यक्ष के पद में भी थे के साथ उमाशंकर शुक्ल, रेखचंद जैन, मिथलेश स्वर्णकार, सतपाल शर्मा, सतीश तिवारी, खीवराज जैन, सतपाल शर्मा सहित बस्तर और कोंडागांव क्षेत्र के 85 लोग जिनमें अधिकांश कांग्रेस नेता ही थे को जेल में डाल दिया गया था। बस्तर चेंबर आफ कामर्स के सचिव विनोद जैन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। तब बस्तर जिला अविभाजित था और वर्तमान में बस्तर संभाग में शामिल सभी सातों जिले एक ही बस्तर जिले के अंतर्गत थे। आंदोलकारियों को रेल मांगने पर जेल मिली थी।
कर्मा और उनके समर्थक नेताओं व बस्तर की जनता से सरकार और प्रशासन को इतना अधिक खौफ पैदा हो गया था कि 24 फरवरी 1996 को रेल रोको आंदोलन के एक दिन पहले से बस्तर में धारा 144 लगा दी गई थी ताकि एकजुट होकर जनता रेल रोकने स्टेशन ही ओर न जा पाए। उस दिन बस्तर जिला संघर्ष समिति और बस्तर चेंबर आफ कामर्स ने बस्तर बंद का आह्वान भी किया था। उमाशंकर शुक्ल, सतीश तिवारी, सतपाल शर्मा ने नईदुनिया से रेल आंदोलन से जुड़ी पुरानी यादे साझा करते हुए बताया कि जगदलपुर और कोंडागांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर किया गया था।
कोंडागांव में इसलिए ताकि वहां से लोग आंदोलन में शामिल होने के लिए जगदलपुर न आ सके। पुलिस ने आंदोलन के एक दिन पहले ही रात में महेंद्र कर्मा, उमाशंकर शुक्ल, मिथलेश स्वर्णकार, खीवराज जैन, संजीव शर्मा, कोंडागांव से नगरपालिका अध्यक्ष कैलाश पोयाम, उपाध्यक्ष सुखदेव सिंह गिल हिरासत में लेकर 300 किलोमीटर दूर दुर्ग ले जाकर वहां जेल में डाल दिया था। नेताओं को दुर्ग जेल भेजे जाने की खबर पर यहां जगदलपुर में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। दूसरे दिन रेखचंद जैन, सतपाल शर्मा, यशवर्धन राव के नेतृत्व में बड़ी संख्या में नेताओं ने स्टेशन की ओर कूच किया। पुलिस ने रास्ते में ही इनके साथ रहे प्रकाश तिवारी, त्रिलोकीनाथ मौर, राजेश साव, संजय मिश्रा आदि 55 लोगों को गिरफ्तार कर जेल ले जाकर बंद कर दिया। जेल जाने वालों में 15 महिलाएं भी थीं।
युवा तुर्क थे रेखचंद, मिथलेश तो शुक्ल चाणक्य
जिस समय यह घटना हुई उस समय वर्तमान विधायक रेखचंद जैन, क्रेडा अध्यक्ष मिथलेश स्वर्णकार आदि कुछ नेताओं को बस्तर में कांग्रेस का युवा तुर्क कहा जाता था। वहीं उमाशंकर शुक्ल, सतीश तिवारी, खीवराज जैन कांग्रेस के चाणक्य माने जाते थे। ये सभी महेंद्र कर्मा के सिपहसलार कहे जाते थे। रेल रोको आंदोलन को सरकार और प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए असफल कर दिया और इसके बाद 25 फरवरी को सभी को जेल से रिहा कर दिया था।